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आगरा में वायु प्रदूषण छिपाने के लिए वेबसाइट से हटाए बाग फरजाना और कलाकृति के सेंसर, 499 पहुंचा AQI

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जागरण संवाददाता, आगरा। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के आटोमेटिक मानीटरिंग स्टेशनों पर दर्ज वायु प्रदूषण के आंकड़ों की हकीकत बताने वाले आगरा स्मार्ट सिटी के बाग फरजाना और कलाकृति पर लगे सेंसर रविवार को वेबसाइट से गायब हो गए। वायु प्रदूषण की रियल टाइम स्थिति बताने वाले बाग फरजाना स्थित सेंसर पर कई दिनों से हवा खतरनाक स्थिति में बनी हुई थी। शनिवार को तो वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) खतरनाक स्थिति में 499 तक पहुंच गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यहां हवा में घुले धूल कणों (पीएम10) और अति सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) की मात्रा 998 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई थी। रविवार को वेबसाइट पर बाग फरजाना के साथ ही कलाकृति का सेंसर शो नहीं हुआ। कलाकृति पर लगे सेंसर पर शनिवार को एक्यूआइ खराब स्थिति में 405 रहा था।आगरा स्मार्ट सिटी के 14 सेंसर पर रविवार को एक्यूआइ बहुत खराब और तीन सेंसर पर खराब स्थिति में रहा। सर्वाधिक प्रदूषित विभव नगर रहा। यहां एक्यूआइ 379 रहा।

यूपीपीसीबी के छह आटोमेटिक मानीटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआइ मध्यम स्थिति में ही दर्ज किया गया। आंकड़ों का यह अंतर बड़े सवाल उठाता है। अफसर आटोमेटिक मानीटरिंग स्टेशनों के आंकड़ों के आधार पर कदम उठाए जाने की बात करते हैं, लेकिन उन्हें सड़कों पर उड़ती धूल नजर नहीं आती। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर आगरा के लिए वर्ष 2018 में एयर एक्शन प्लान लागू किया गया था।

दिनभर उड़ते रहे धूल के गुबार  

शहर में रविवार को एमजी रोड, माल रोड, सेंट जोंस से लोहामंडी रोड, ट्रांसपोर्ट नगर, आइएसबीटी के पास वाहनों के गुजरने पर दिनभर धूल के गुबार उड़ते रहे। एमजी रोड व माल रोड पर मेट्रो का काम चल रहा है। एसएन मेडिकल कालेज में बड़ा निर्माण हो रहा है। सेंट जोंस से लोहामंडी रोड और ट्रांसपोर्ट नगर में सड़क खोदी पड़ी है।

आइएसबीटी के पास सड़क किनारे पर धूल जमा है। यहां धूल उड़ने से रोकने को समुचित इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। धूल के गुबारों से शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनका स्वास्थ्य खराब हो रहा है और सांस रोगी बढ़ रहे हैं, लेकिन उनकी किसी को परवाह नहीं है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के संयुक्त महाप्रबंधक पंचानन मिश्रा का कहना है कि मिट्टी न उड़े, इसके लिए लगातार पानी का छिड़काव कराया जा रहा है।

प्रत्येक निर्माण स्थल पर स्माग गन का भी प्रयोग किया जा रहा है। पर्यावरण के नजरिए से हर ठोस कदम उठाया गया है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड के चीफ डेटा आफिसर सौरभ का कहना है कि कोई भी सेंसर स्मार्ट सिटी की ओर से बंद नहीं कराया गया है। कोई तकनीकी खराबी हो सकती है। इसे चेक करा लिया जाएगा।
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