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उड़ान भरेंगे सपने, झारखंड के पहले कामर्शियल पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का सीएम हेमंत सोरेन करेंगे उद्घाटन

Chikheang 4 day(s) ago views 478

  

सीएम हेमंत सोरेन करेंगे उद्घाटन। (जागरण)



राजीव, दुमका। झारखंड ही नहीं बल्कि पूर्वी क्षेत्र का पहला झारखंड कामर्शियल फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का उद्घाटन आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका के एयरपोर्ट पर करेंगे। झारखंड सरकार की ओर से संचालित इस इंस्टीट्यूट में प्रत्येक वर्ष 30 योग्य छात्रों को ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें 15 सीट आरक्षित श्रेणी का होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आरक्षित श्रेणी के प्रशिक्षुओं को निश्शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षुओं को दो चरणों में ट्रेनिंग दिया जाएगा। पहले चरण में दुमका में कामर्शियल पायलट लाइसेंस विद मल्टी इंजन रेटिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जबकि दूसरे चरण का प्रशिक्षण टाइप रेटिंग आन एयर बस ए-320 का दिया जाएगा।

यह प्रशिक्षण देश के प्रमुख सिविलेयेटर ट्रेनिंग सेंटरों के माध्यम से कराया जाएगा। पूरी ट्रेनिंग 200 घंटे की होगी। दुमका में प्रशिक्षण के लिए तमाम तैयारियां व आधारभूत संरचनाएं पूरी कर ली गई है। वर्तमान में दुमका में तीन जेलिन एयरकाफ्रट, तीन ग्लाइडर और एक स्टीमी एयरक्राफ्ट है।

डीजीसीए के तय मानकों को पूरा करने के उपरांत एफटीओ का लाइसेंस भी हासिल कर लिया गया है। इधर सोमवार को होने वाले उद्घाटन को लेकर दुमका एयरपोर्ट पर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को दुमका एयरपोर्ट पर ही आयोजित सेवा का अधिकार सप्ताह समारोह के तहत दुमका के लोगों को कई बड़ी सौगात देंगे।
यह है कामर्शियल फ्लाइंग इंस्टीट्यूट के संचालन का तय मानक

नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए के स्तर से तय मानकों को पूरा करने के उपरांत ही कामर्शियल पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का संचालन संभव है। इसके लिए डीजीसीए की ओर से सेफ्टी और क्वालिटी पर विशेष फोकस किया गया है। इसके लिए सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स का पालन अनिवार्य किया गया है।

कामर्शियल पायलट तैयार करने वाले फ्लाइंग ट्रेनिंग आर्गनाइजेशन के लिए विस्तृत और कड़े नियम लागू किए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य पायलट ट्रेनिंग की गुणवत्ता और विमानन सुरक्षा को सर्वोच्च स्तर पर बनाए रखना है।
लाइसेंसिंग और अनिवार्य मानक

कामर्शियल पायलट ट्रेनिंग शुरू करने के लिए किसी भी संस्थान को सबसे पहले डीजीसीए अप्रूव्ड एफटीओ के रूप में लाइसेंस लेना अनिवार्य है। एफटीओ की स्थापना और उनके संचालन के लिए विस्तृत मानक सीएआर सेक्शन 7, सीरीज-डी, पार्ट वन में निहित है।

इतना ही नहीं डीजीसीए ने एफटीओ के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है ताकि छात्रों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण मिल सके। इसके लिए इंस्टीट्यूट के पास पर्याप्त ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट, उचित मेंटेनेंस सुविधा, आधुनिक क्लासरूम, सिम्युलेटर और व्यवस्थित आप्स-रूम, ब्रिफिंग एरिया होना अनिवार्य है।

साथ ही एयरफील्ड की उपयुक्तता, सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम एवं डीजीसीए मानकों के अनुरूप रिकॉर्ड-कीपिंग और डिस्पैच सिस्टम भी जरूरी मानकों में शामिल है। साथ ही पायलट ट्रेनिंग की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, प्रशिक्षकों की योग्यता पर विशेष ध्यान दिया गया है।

सीएफआई, डिप्टी सीएफआई और फाइलट इंस्ट्रक्टर के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन, अनुभव और लाइसेंस की शर्तें सीएआर के सेक्शन सात में निर्धारित है। वहीं हाल के संशोधनों ने एफटीओ को कई चेक और इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग की जिम्मेदारियां डेलीगेट की गई है ताकि प्रशिक्षण तेज और अधिक व्यवस्थित हो सके।
ये है निर्धारित कोर्स और लाइसेंसिंग प्रक्रिया

डीजीसीए ने सभी एफटीओ के लिए एक समान पाठ्यक्रम और न्यूनतम फ्लाइंग अवधि घंटों में तय किए हैं। इसके लिए तय पाठ्यक्रम स्टूडेंट पायलट लाइसेंस, प्राइवेट पायलट लाइसेंस और कामर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए थ्योरी और फ्लाइंग सिलेबस तैयार किया गया है जिसमें नेविगेशन, मेटिरियोलॉजी, एयर रेगुलेशन अनिवार्य रूप से तय है।

थ्योरी एग्जाम और फ्लाइंग टेस्ट डीजीसीए के दिशा-निर्देशों के मुताबिक होते हैं और एफटीओ को सभी रिकॉर्ड डीजीसीए के मानकों के अनुसार मेंटेन करना होता है। इन नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए डीजीसीए समय-समय पर आडिट और निरीक्षण करता है।
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