राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों को आइसीयू में इलाज का भुगतान मरीज या उसके स्वजन से पुष्टि के बाद किया जाएगा। स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के अनुसार हर महीने आइसीयू में इलाज के लगभग 600 दावे किए जाते हैं। इन बिलों की जांच केंद्र से तय की गई एजेंसी करती है। इसके बाद साचीज के डाक्टरों की टीम बिल की जांच करती है। अब इलाज में कोई संदिग्ध बिल पेश किया जाएगा तो मरीज या उसके स्वजन से काल करके जानकारी ली जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके बाद ही अस्पताल का भुगतान किया जाएगा। अस्पतालों में आइसीयू में भर्ती मरीजों के इलाज में ही सबसे अधिक खर्च आता है। इसलिए अब फोन काल से इलाज की पुष्टि की जाएगी। इसके बाद भी कोई गड़बड़ी होती है तो मरीज के घर जाकर सत्यापन किया जाएगा। किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा पाए जाने पर अस्पताल का अनुबंध खत्मकर दिया जाएगा।
ये होती है कार्रवाई
अस्पताल द्वारा आयुष्मान कार्ड धारक से इलाज का नगद भुगतान लेने, मरीज को दी गई सेवाओं से अलग बिल पेश करने, सामान्य बीमारी को गंभीर में दर्ज करने, एक ही प्रक्रिया को कई बार करने, वास्तविक लाभार्थी की जगह किसी और का इलाज करने, दस्तावेजों में फेरबदल का प्रकरण पाए जाने पर बिल रोकने, अनुबंध निलंबन और उसे समाप्त करने की कार्रवाई की जाती है।
साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अर्चना वर्मा ने बताया कि अस्पताल के बिल में यदि कोई गड़बड़ी मिलती है तो पहली बार गलती पाए जाने पर नोटिस के साथ ही बिल का 10 गुणा अर्थ दंड वसूला जाता है। दूसरी बार गड़बड़ी करने पर अस्पताल का अनुबंध खत्मकर दिया जाता है। इस वर्ष एक जनवरी से अब तक अस्पतालों पर 3.61 करोड़ रुपये दंड लगाया गया है।
2.69 करोड़ रुपये की हो चुकी वसूली
इसमें 2.69 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है। यदि कोई अस्पताल उत्कृष्ट कार्य करता है तो उसके लिए प्रोत्साहन और ग्रीन चैनल के माध्यम से सुलभ भुगतान की सुविधा दी जाती है। यदि किसी लाभार्थी को साचीज से संपर्क करना हो, कोई शिकायत या सुझाव हो तो वो टोल फ्री नंबर 180018004444 और 14555 पर संपर्क कर सकता है। |