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सिरसा डेरा प्रमुख से जुड़े मामले में अमेरिका से नहीं हो सकी गवाही, CBI पर लगे लापरवाही के आरोप, कोर्ट ने भी मांगा जवाब

cy520520 2025-11-21 18:07:08 views 985

  

गुरमीत सिंह और अन्य पर श्रद्धालुओं का ‘आध्यात्मिक शुद्धिकरण’ के नाम पर जबरन बंध्याकरण कराने की साजिश रचने का आरोप।



जागरण संवाददाता, पंचकूला। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह और अन्य आरोपितों से जुड़े मामले में वीरवार को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में शिकायतकर्ता की अमेरिका से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही दर्ज होनी थी, लेकिन आवश्यक तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियां पूरी न होने के कारण एक बार फिर गवाही नहीं हो सकी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस पर सीबीआई पर लापरवाही के आरोप लगे और इस देरी पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए सीबीआई को मामले में अधिक सक्रिय होने के निर्देश दिए। अदालत में मौजूद सीबीआई के डिप्टी एसपी ने बताया कि भारत के गृह मंत्रालय ने कई बार अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस को पत्र भेजे, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इसी कारण गवाही की तारीख आगे नहीं बढ़ाई जा सकी।

सीबीआई गवाही रिकाॅर्ड करने के लिए विशेष डिवाइस और डाॅक्यूमेंट विजुअलाइजर लेकर आई थी, लेकिन ये उपकरण अदालत में उपयोग होने वाले सिस्टम से कंपैटिबल नहीं पाए गए। तकनीकी विंग प्रभारी ने कोर्ट को बताया कि वेंडर एक सप्ताह के भीतर आवश्यक कंपैटिबल डिवाइस उपलब्ध करा देगा।
शिकायतकर्ता पक्ष ने सीबीआई पर लापरवाही का लगाया आरोप

शिकायतकर्ता के वकील नवकिरन सिंह ने अदालत में कहा कि शिकायतकर्ता स्वयं अमेरिका से गवाही देने को तैयार है और इस प्रक्रिया की अनुमति निचली अदालत, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में अमेरिकी विभाग की मदद लेने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने सीबीआई पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया और कहा कि गवाह को अब तक मामले की प्रगति की कोई जानकारी नहीं दी गई है।
सात साल में 92 में से केवल 12 गवाहों की गवाही दर्ज

अदालत ने कहा कि 2018 में चार्जशीट दाखिल होने के बाद से अब तक कुल 92 में से केवल 12 गवाहों की गवाही दर्ज हुई है, जो अत्यंत गंभीर देरी है। अदालत ने प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान एक अन्य गवाह ने भी अमेरिका से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देने का अनुरोध किया। अदालत ने सीबीआई और बचाव पक्ष को 21 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा।

कोर्ट ने सीबीआई से साफ पूछा कि यदि गवाह स्वयं तैयार है, तो क्या उसकी गवाही बिना अमेरिकी विभाग की मदद के केवल भारतीय एम्बेसी के माध्यम से दर्ज की जा सकती है? इसके संबंध में नियम, मार्गदर्शन और विस्तृत रिपोर्ट 21 नवंबर तक पेश करने के आदेश दिए गए।
‘आध्यात्मिक शुद्धिकरण’ के नाम पर जबरन बंध्याकरण का मामला

यह केस उन आरोपों पर आधारित है कि गुरमीत सिंह और अन्य आरोपितों ने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा परिसर में पुरुष श्रद्धालुओं का ‘आध्यात्मिक शुद्धिकरण’ के नाम पर जबरन बंध्याकरण कराने की साजिश रची थी। शिकायतकर्ता, जो स्वयं भी इस प्रक्रिया का शिकार हो चुके हैं, अब अमेरिका में रहते हैं और एक महत्वपूर्ण गवाह हैं।

उन्होंने यात्रा में लगने वाली 13,000 किलोमीटर की दूरी, भारी खर्च, व्यक्तिगत असुविधा और जान के संभावित खतरे का हवाला देते हुए वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए जिरह की अनुमति मांगी थी।
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