cy520520 • 2025-11-21 17:07:20 • views 137
कश्मीर में हाल ही में गुल-ए-दाऊदी फूलों को उगाकर पतझड़ में भी रंगीन फूलों का नजारा दिखाया गया।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। ट्यूलिप की सतरंगी बहार किसे आकर्षित नहीं करती। तभी तो श्रीनगर में प्रसिद्ध डल झील किनारे जबरवन पहाड़ियों के दामन में स्थित एशिया के सब से बड़े बड़े ट्यूलप गार्डन में ट्यूलिप के नाजुक फूलों की सतरंगी बहार देखने के लिए बसंत के महीने में इस गार्डन में पर्यटकों का सैलाब उमड़ आता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्यूलिप अपनी यह सतरंगी बाहर चंद दिनों तक ही अपनी यह सतरंगी बहार दिखा पाते हैं क्योंकि यह नाजुक फूल न तो भीषण गर्मी और ना ही भीषण ठंड ही सहन कर पाते हैं। लेकिन घाटी में बहुत जल्द ट्यूलिप के यह फूल वर्ष भर घाटी की खूसूरती में चार चांद लगाते रहेंगे क्योंकि इन्हें साल भर खिलता रहने के लिए शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय कश्मीर की एक विशेषज्ञ शोध में व्यस्त हैं और उनका दावा है कि दिसंबर अंत तक वह इस ट्यूलिप पर किए जाने वाले शोध का सकारात्मक परिणाम लेकर आएंगी।
ब्यूनाह कर रही इस पर शोध
दरअसल स्कास्ट में तमिलनाडु की ब्यूनाह नामक एक रिसर्च स्कालर इस शोध में लगी है जो पिछले कई महीने से यह करने की कोशिशों में लगी है जो कइयों को नामुमकिन लगता था। यानी मार्च के आखिर से अप्रैल की शुरुआत तक ट्यूलिप को उनके पारंपरिक खिलने के समय के अलावा उगाना। उसका लक्ष्य घाटी के लिए एक नई तरह की फ्लोरल इकॉनमी बनाना है, जिसमें सर्दियों की हाड़ कंपाने वाली ठंड में भी ट्यूलिप खिल सकें।
शोध में सफल होने का यकीन
अपने इस शोध के बारे में ब्यूनाह ने कहा, मैं अलग-अलग समय पर फूल खिलने के लिए टेम्परेचर और लाइट कंडीशन में बदलाव करके ऑफ-सीजन प्रोडक्शन की टेस्टिंग कर रही हूं। बल्ब को 14 हफ्ते, 16 हफ्ते में अलग-अलग ट्रीटमेंट देकर देख रही हूं कि क्या रिएक्शन रहता है। मुझे उम्मीद है कि मेरा यह ट्रीटमेंट सफल रहेगा और ट्यूलिप पूरे साल खिलते रहेंगे। ब्यूनाह ने कहा,अभी मैं बल्बों में अंकुर और जड़ें जमाने में सफल रही हूं, और मेरा पहला ट्रायल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
यह प्रोजेक्ट अभी शुरूआती स्टेज में
बता देते हैं कि यह प्रोजेक्ट अभी शुरुआती स्टेज में है, शुरुआत में इसके परिणाम सकारात्मक आ रहे हैं यदि पूरी प्रक्रिया सफल रही तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी और घाटी जल्द ही न सिर्फ़ बसंत में खिलने वाले ट्यूलिप के लिए जानी जाएगी, बल्कि सबसे ठंडे महीनों में भी उन्हें उगाने की अपनी योग्यता का श्रेय भी प्राप्त करेगी।
वहीं ट्यूलिप एक्सपोर्ट, टूरिज़्म और यहां तक कि साल भर लोकल सेलिब्रेशन के लिए भी उपलब्ध रहेंगे। साथ ही यह ट्यूलिप जो आमतौर पर सिर्फ़ वसंत में ही दिखते हैं, साल भर आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं, जिससे न सिर्फ़ टूरिज्म सेक्टर बढ़ेगा बल्कि लोकल फ्लोरिकल्चर एक्सपोर्ट के लिए नए रास्ते भी खुलेंगे।
रिसर्च के बेहतर रिजल्ट अच्छे आ रहे
ब्यूनाह के रिसर्च को सुपरवाइज कर रहे प्रोफेसर फहीमुल्लाह ने कहा, रिसर्च सुचारू ढंग से जारी है। रिजल्ट अच्छे आ रहे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि ट्यूलप पर ब्यूनाह द्वारा किए जाने वाला शोध सफल रहेगा। ट्यूलिप के फूलों को खिलने के लिए 13-25 डिग्री सेलसियस तक के तापमान की दरकार होती है। हालांकि अक्तबर नवंबर में इस फूलल को बोया जता है और फिर यह दिसंबर,जनवरी व फरवरी महीनों जिनके दौरान यहां तापमान जमाव बिंदु से नीचे बना रहता है।
ट्यूलिप गार्डन पर्यटकों की पहली पसंद
इस बीच ट्यूलिप के यह फूल जमीन के नीचे पनाह लिए रहते हैं और मार्च महीने में जैसे ही तापमान जमाव बिंदु से ऊपर आ जाता है तो ट्यूलिप के फूल भी जमीन के नीचे से सिर उठाना शुरू कर देते हैं और फिर अप्रैल के अंत तक यह अपनी सतरंगी बहार दिखाने के बाद कुमहला जाते हैं। सनद रहे कि ट्यूलिप का नजारा करने के लिए ट्यूलिप गार्डन घाटी आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है।
गार्डन में हर वर्ष आने वाली पर्यटकों से प्रशासन को करोड़ों रुपयों का राजस्व मिलता है। एेसे में साल भर ट्यूलिप का खिलते रहना प्रशासन के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
गुल-ए-दाऊदी से पतझड़ में दिखा फूलों का नजारा
यहां पर यह बताना असंगत नही होगा कि घाटी में वर्ष भर फूलों को खिलाए रखने के प्रयासों के तहत हाल ही में स्कास्ट द्वारा एक सफल शोध के बाद गुल ए दाऊदी(क्रिसेनथिमम) फूलों को उगा पतझड़ में भी लोगों को रंगीन फूलों का नजारा देखने को मिला और ट्यूलिप गार्डन के बगल में गुल-ए-दाऊदी बाग जिसको हाल ही में आम लोगों को समर्पित किया गाय, इन दिनों लोगों विशेषकर यहां घूमने आए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। |
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