प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डा हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयानों में झलकी खींचतान। प्रतीकात्मक
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश में वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी क्षत्रपों के एकजुट होने के दावे हवा हो रहे हैं। चुनाव में अभी लगभग डेढ़ वर्ष का समय है, लेकिन टिकट को लेकर पार्टी नेताओं का अंतर्कलह सतह पर दिखने लगा है। प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिकट वितरण को लेकर तेवर परस्पर विरोधी हैं। ऐसे में आने वाले समय में पार्टी के भीतर खींचतान तेज होने के संकेत हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कांग्रेस नेतृत्व ने डा हरक सिंह रावत को अगले विधानसभा चुनाव के प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। चुनावी राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले डा हरक सिंह ने यह कहकर पार्टी के भीतर माहौल गर्मा दिया कि फ्यूज कारतूसों को इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी एक-एक विधानसभा क्षेत्र में विश्लेषण के बाद ही टिकट तय करेगी। यद्यपि, अभी चुनाव में लंबा समय शेष है, लेकिन टिकट को लेकर हरक के बयान के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष गणेश गोदियाल के गत रविवार को पदभार ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बगैर नाम लिए विष पुरुष संबोधन किया था। माना जा रहा है कि तब उनके निशाने पर हरक सिंह थे।
हरक और उनके बीच वर्ष 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के विरुद्ध बगावत के बाद से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है। सरकार के विरुद्ध बगावत की पीड़ा हरीश रावत रह-रहकर जाहिर करते रहे हैं। हरक सिंह का फ्यूज कारतूस को टिकट नहीं देने संबंधी वक्तव्य के निशाने पर कौन रहा, यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई।
कारतूस का फ्यूज यानी खोखा भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वह दुश्मन को गिराने में काम आया है, वक्तव्य देकर उन्होंने टिकट को लेकर हरक सिंह की राय को ही दरकिनार कर दिया। दोनों नेता एक बार फिर आमने-सामने नजर आ रहे हैं। यद्यपि, दोनों की ओर से ही मनमुटाव को खारिज करते हुए अगले विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती देने के दावे किए जाते रहे हैं। |