झारखंड हाई कोर्ट
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के लोकायुक्त, सूचना आयुक्त सहित सभी संवैधानिक पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई होगी। तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के 29 जून 2021 को कोरोना से निधन के बाद से ही यह पद रिक्त पड़ा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भ्रष्टाचार के विरुद्ध जांच व कार्रवाई करने वाली राज्य की इस सशक्त संस्था में चार साल से अधिक समय से लोकायुक्त नहीं हैं। इसके चलते लोकायुक्त कार्यालय की एक फाइल चार साल से अब तक नहीं हिली-डुली है।
धूल फांक रही फाइलों में 3200 से अधिक शिकायतें दबी हैं, जो नए लोकायुक्त के आने के बाद ही खुलेंगी और जांच कार्रवाई आदि के लिए आगे बढ़ेंगी। लोकायुक्त के नहीं होने से उनके कार्यालय के कर्मी व पदाधिकारी हर दिन ड्यूटी तो आते हैं लेकिन बिना किसी कार्य किए शाम को वापस घर चले जाते हैं। पूरी व्यवस्था ठप पड़ी है।
जिस जमीन घोटाला को लोकायुक्त ने पकड़ा, उस केस में ईडी ने किया सनसनीखेज खुलासा
सेना के उपयोग वाली जमीन की फर्जी कागजात पर खरीद-बिक्री का मामला सबसे पहले लोकायुक्त के यहां आया था। इसे तत्कालीन लोकायुक्त ने पकड़ा व तत्कालीन रांची के आयुक्त से जांच कराई, जिसमें फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था।
लोकायुक्त ने जिस घोटाले को पकड़ा। बाद में ईडी ने उक्त केस की मनी लांड्रिंग के तहत जांच की और सनसनीखेज खुलासा किया। फर्जी दस्तावेज पर उक्त जमीन की खरीद-बिक्री का मामला उजागर हुआ।
जमीन घोटाला केस में अलग-अलग जमीन के कागजात में फर्जीवाड़ा का लिंक मिलता गया। ईडी ने इस केस में आइएएस अधिकारी सहित दर्जनभर से अधिक आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मामला पीएमएलए कोर्ट में लंबित है।
पूर्व के लोकायुक्तों ने 100 से अधिक अफसरों को भ्रष्टाचार का दोषी पकड़ा
लोकायुक्त के कार्यकाल में भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी लोकसेवकों में कार्रवाई का भय रहता था। पूर्व के लोकायुक्तों के समय 100 से अधिक अफसर भ्रष्टाचार के दोषी मिले, जिनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही से लेकर एफआइआर तक की कार्रवाई हुई। इस कार्यालय में भ्रष्टाचार से संबंधित सर्वाधिक मामले राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से जुड़े हैं। लोकायुक्त के आते ही सभी फाइलें खुलेंगी। |