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शेख हसीना को मौत की सजा मिलने के बाद बांग्ला ...

deltin55 1970-1-1 05:00:00 views 0


ढाका। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। इस फैसले को लेकर बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण है, जिसको देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देशवासियों से संयम बरतने की अपील की है।   
वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के नाम एक संदेश में कहा कि मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा एक ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के महत्व को समझते हुए अंतरिम सरकार सभी नागरिकों से शांत, संयमित और जिम्मेदार बने रहने का आग्रह करती है।  




सरकार ने कहा कि इस फैसले के बाद सभी से विशेष रूप से अनुरोध किया जा रहा है कि वे किसी भी प्रकार के अभद्र व्यवहार, उकसावे, हिंसा या गैरकानूनी गतिविधियों से बचें।  
कहा गया कि जुलाई विद्रोह के शहीदों के परिवारों द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित इस फैसले से स्वाभाविक रूप से लोगों में तीव्र भावनाएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि, सरकार दृढ़ता से चेतावनी देती है कि किसी को भी ऐसी भावनाओं में बहकर सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने वाले तरीके से कार्य नहीं करना चाहिए। सरकार यह भी स्पष्ट करती है कि अराजकता, अव्यवस्था, या सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के किसी भी प्रयास को सख्ती से दबा दिया जाएगा।  




इससे पहले बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अपदस्थ पूर्व पीएम शेख हसीना कठोरतम सजा की पात्र हैं, जबकि इसी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व आईजीपी ममून पर नरमी बरती गई। उन्हें महज पांच साल की सजा सुनाई गई।  
कोर्ट ने हसीना के साथ उनके दो करीबियों को भी दोषी माना था। इनमें से पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजीपी चौधरी अब्दुला अल ममून शामिल थे। ममून सरकारी गवाह बन गए और उन्हें माफी मिल गई।  




बांग्लादेश के पूर्व आईजीपी ममून ने माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट का पूरा साथ दिया। उन्होंने माना कि वे हिंसा में शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि 4 लोगों ने मिलकर साजिश की और सभी पीएम के आवास पर रोज बैठक भी करते थे। ममून ने अपनी नौकरी की दुहाई दी और कहा कि उन्होंने 36 साल की सर्विस में कोई जुर्म नहीं किया, लेकिन इस घटना ने उनकी छवि खराब कर दी।  
2010 में न्यायाधिकरण की स्थापना के बाद माफी मांगकर गवाह बनने वाले ममून पहले अभियुक्त बन गए।






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