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गोरखपुर RFSL में होगी बैलिस्टिक से लेकर डिजिटल फोरेंसिक की हर जांच, युवाओं को मिलेगा बड़ा अवसर

Chikheang 2025-11-19 12:06:44 views 539

  

क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला में उच्चीकृत भवन के लोकार्पण अवसर पर लैब का निरीक्षण करते मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ। सौ. सूचना विभाग



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। उच्चीकृत क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (आरएफएसएल) गोरखपुर का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लैब वैज्ञानिक पुलिसिंग का नया इंजन बनेगी। अपराध अब छिप नहीं सकेंगे, क्योंकि फोरेंसिक तकनीक हर सुराग को सबूत में बदल देगी। गोरखपुर को पूर्वांचल की सबसे आधुनिक लैब मिलने से जांच में रफ्तार और सटीकता दोनों आएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यूपी में वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित पुलिसिंग को मजबूती देने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। गोरखपुर स्थित लैब अब ए श्रेणी में अपग्रेड हो चुकी है। यहां अब बैलिस्टिक परीक्षण, विस्फोटक पदार्थों का विश्लेषण, साइबर जांच, मोबाइल-लैपटाप-सीसी कैमरा फुटेज के डेटा की रिकवरी, वाइस मैचिंग और डीएनए प्रोफाइलिंग जैसे सभी परीक्षण किए जाएंगे।उन्होंने कहा कि पहले अच्छी लैब न होने से कई अपराधी साक्ष्य के अभाव में बच जाते थे, लेकिन अब यूपी में यह स्थिति खत्म हो गई है।

तीन नए कानून लागू होने के बाद इन लैबों की जरूरत और बढ़ गई है।सीएम ने बताया कि हर जिले में दो मोबाइल फोरेंसिक वैन हैं, जो घटनास्थल पर तुरंत पहुंचकर वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करती हैं। इससे केस की जांच पहले से कई गुना तेज हो गई है।

फोरेंसिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फोरेंसिक साइंस की स्थापना की गई है, जहां सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स चल रहे हैं। यहां एआइ, ड्रोन और रोबोटिक्स प्रयोगशालाएं भी संचालित हैं।उन्होंने कहा कि यह लैब पूर्वांचल और सरहदी क्षेत्रों में अपराध की जांच का मजबूत आधार बनेगी। अपराधी वैज्ञानिक जांच की पकड़ से बाहर नहीं बच पाएंगे।एडीजी तकनीकी सेवाएं नवीन अरोड़ा ने लैब की तकनीकी खूबियों पर प्रकाश डाला।

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नई फोरेंसिक लैब से होगा यह फायदा :

  • अब हत्या, डकैती, दुष्कर्म, साइबर क्राइम और धमकी जैसे मामलों में रिपोर्ट महीनों नहीं, दिनों में मिल सकेगी।
  • डिजिटल साक्ष्य, वाइस मैचिंग और डीएनए प्रोफाइलिंग से आरोपित की पहचान तेजी से संभव होगी।
  • वैज्ञानिक जांच यह सुनिश्चित करेगी कि बेगुनाह पर आरोप न टिकें और असली अपराधी बच न पाए।
  • मोबाइल, लैपटॉप और सीसी कैमरे से डेटा रिकवरी की आधुनिक सुविधा मिलने से साइबर अपराधियों पर तुरंत कार्रवाई होगी।
  • नेपाल बार्डर से जुड़े मामलों की जांच अब गोरखपुर में ही हो जाएगी, फाइलें लखनऊ भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • घटनास्थल से दो फोरेंसिक मोबाइल वैन कुछ ही घंटों में सैंपल इकट्ठा कर लैब में भेज देंगी, जिससे केस में देरी कम होगी।
  • कारतूस व विस्फोटक पदार्थ की बैलिस्टिक व वैज्ञानिक जांच यहीं होगी, जिससे संगठित अपराध पर शिकंजा कसेगा।
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