बनारस-कोलकाता एक्सप्रेस वे
जागरण संवाददाता, चतरा। बनारस-कोलकाता एक्सप्रेस वे के निर्माण को लेकर चतरा जिले में प्रक्रियाएं तेजी पकड़ चुकी हैं। परियोजना के लिए जरूरी वन स्वीकृति में बड़ा कदम तब मिला, जब उत्तरी वन प्रमंडल से स्टेज–1 की मंजूरी प्राप्त हो गई। वहीं दक्षिणी वन प्रमंडल में संबंधित औपचारिकताएं अंतिम चरण में हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जल्द ही प्रारंभ हो सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक्सप्रेसवे के लिए 342 हेक्टेयर वन भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सक्रिय रूप से काम कर रहा है और प्रभावित भू–स्वामियों के बीच मुआवजे का करीब-करीब वितरण हो गया है।
दो सौ चार करोड़ रुपये का मुआवजा वितरण
प्रभावितों के बीच दो सौ चार करोड़ रुपये का मुआवजा वितरण होना है। जबकि अब तक दो सौ डेढ़ करोड़ रुपये की राशि वितरित हो चुकी है। इधर उत्तरी वन प्रमंडल ने क्षतिपूर्ति राशि के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से डिमांड किया है।
उत्तरी वन प्रमंडल पदाधिकारी राहुल कुमार मीणा ने बताया कि करीब 43 करोड़ रुपये का डिमांड किया गया है। जिसमें वन क्षतिपूर्ति के एवज में 29 करोड़ तथा वन भूमि के लिए 14 करोड़ की राशि शामिल है।
यह परियोजना चतरा सहित पूरे क्षेत्र में यातायात सुविधा, व्यापारिक गतिविधियों और औद्योगिक संभावनाओं को नया आयाम देगी। तेज रफ्तार सड़क संपर्क से लोगों का सफर आसान होगा और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
परियोजना के लिए 342.9921 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के लिए दक्षिणी एवं उत्तरी वन प्रमंडल की 342.9921 हेक्टेयर भूमि परियोजना के लिए अधिग्रहित होगी। जिसमें दक्षिणी वन प्रमंडल का 240.1553 तथा उत्तरी वन प्रमंडल का 102.8368 हेक्टेयर भूमि शामिल है।
वन भूमि के अधिग्रहण के विरुद्ध दोनों प्रमंडलों को क्षतिपूर्ति के रूप में दोगुनी भूमि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरण करना है। उसके लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है। हस्तांतरण की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है।
इसके अलावा दोनों प्रमंडलों में करीब 80 हजार पेड़ काटे जाएंगे। उन पेड़ों से डेढ़ गुना पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए परियोजना की ओर से वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 44.58 करोड़ रुपये भुगतान करेगा। प्रति हेक्टेयर 13 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है।
सबसे अधिक 84.3 किमी दूरी चतरा जिले में
बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे उत्तर प्रदेश से कोलकाता तक की परियोजना है। यूपी से प्रारंभ होगा और बिहार एवं झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक जाएगी।
परियोजना के अंतर्गत झारखंड के सर्वाधिक 67 गांव चतरा जिले के आ रहे हैं। जिसमें हंटरगंज प्रखंड के 28, चतरा प्रखंड के 18, पत्थलगडा प्रखंड के दो और सिमरिया प्रखंड के 19 गांव शामिल है। जिसकी कुल लंबाई 84.3 किलोमीटर है। इसमें रैयती 445.50 एकड़ भूमि रैयती है।
संबंधित भू-स्वामियों में 176.74 करोड़ रुपये मुआवजा वितरित हो चुका है। जबकि 23.39 करोड़ की राशि रैयतों के बीच विवाद के कारण एमएलए कोर्ट में जमा करा दिया गया है। मुआवजे की शेष राशि 4.61 करोड़ रुपये भुगतान के लिए लंबित है।
बदल जाएगी चतरा की किस्मत
भारत माला परियोजना से चतरा की सूरत बदल जाएगी। इतना ही नहीं, इसकी ख्याति राष्ट्रीय स्तर पर होगी। सामाजिक परिवेश से लेकर अर्थ व्यवस्था में बदलाव आएगा। रोजगार का सृजन होगा।
जिससे ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में बदलाव आएगी। परियोजना का निर्माण दो से ढाई साल में पूरा होना है। ऐसे में यह उम्मीद लगाई जा रही है कि वर्ष 2028 तक परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
उत्तरी वन प्रमंडल से स्टेज वन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। क्षतिपूर्ति के लिए आवंटन डिमांड किया गया है। दक्षिणी वन प्रमंडल की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमोदन मिलने के साथ संवेदक कार्य प्रारंभ कर सकता है।- मुकेश कुमार, दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी, चतरा। |