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मैनपुरी में 28 साल बाद इंसाफ: अवैध हिरासत मामले में छह पुलिसकर्मी दोषी करार, पीड़ितों ने कहा- जारी रहेगी लड़ाई

LHC0088 2025-11-17 15:07:50 views 260

  

सांकेतिक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, मैनपुरी। 28 वर्ष पूर्व पुलिसकर्मियों ने दो भाइयों का चाेरी का हथियार रखने का केस बनाते हुए उनका चालान कर दिया था। दोनों आरोपित भाइयों ने इसे अपने खिलाफ झूठा केस बताते हुए शासन में शिकायत की थी। इस पर सीबीसीआइडी की आगरा यूनिट ने जांच के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत छह पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल की थी। अब मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने सभी पुलिसकर्मियों को दोषी माना है। उनको तीन महीने की परिवीक्षा अवधि पर छोड़कर सीजेएम द्वारा 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
सीजेएम ने दोषी पुलिसकर्मियों पर लगाया है 12 हजार का जुर्माना



दरअसल मामला वर्ष 1997 का है। आठ जुलाई को किशनी थाना क्षेत्र के नगला करनाई निवासी राजकिशोर उर्फ बबलू दुबे और उनके बड़े भाई स्व. बादशाह दुबे घर पर थे। तभी तत्कालीन किशनी एसओ विजय सिंह, उपनिरीक्षक रामअवध सिंह, कांस्टेबल सुशील कुमार, देवेंद्र कुमार, नरेंद्र कुमार गौतम, दुर्गेश कुमार आए और घर में चोरी का असलहा रखने का आरोप लगाकर राजकिशोर उर्फ बबलू और उनके भाई बादशाह दुबे को चोरी की रिपीटर रखने के आरोप में तीन दिनों तक अवैध रूप में हिरासत में रखने के बाद उनका चालान कर दिया था।

पीड़ित ने कहा: दोषियों को दिलवाकर रहेंगे सजा, लड़ाई रहेगी जारी


  

न्यायालय से उन्हें जमानत मिल गई थी। पीड़ित पक्ष ने लखनऊ जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री से शिकायत कर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाकर जांच कराए जाने की मांग की थी। तब गृह विभाग द्वारा शिकायत को गंभीरता से लेकर 17 जनवरी 2003 में सीबीसीआइडी से जांच के निर्देश दिए गए। आगरा यूनिट ने जांच कर पुलिस कर्मियों पर राजकिशोर और उनके भाई बादशाह दुबे को अवैध रूप से हिरासत में रखने, लोकसेवक रहते हुए गलत रिकार्ड तैयार करने, आपराधिक साजिश रचने और झूठी गवाही देने का दोषी सिद्ध करते हुए रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की।

मामले की सुनवाई सीजेएम न्यायालय में हुई। जहां सुनवाई के दौरान 21 फरवरी 2013 को पुलिस कर्मियों पर आरोप तय हुआ। सुनवाई के दौरान पांच अक्टूबर 2024 से लेकर 29 अगस्त 2025 तक 15 लोगों ने गवाही दी। इस मामले में 11 नवंबर को मामले में सीजेएम विमलेश सरोज ने फैसला सुनाते हुए सभी छह पुलिस कर्मियों को दोषी करार देकर उनपर 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए उन्हें तीन महीने की परिवीक्षा अवधि पर छोड़ा है। जुर्माना की धनराशि पीड़ित को दो माह के अंदर देने के भी आदेश दिए हैं।


सुनवाई के बीच वर्ष 2018 में हुई बादशाह की मृत्यु


करीब 28 वर्ष तक चली कानूनी लड़ाई में आखिरकार पुलिस कर्मियों को न्यायालय द्वारा दोषी करार दे दिया गया। मामले में बादशाह दुबे ने कड़ी पैरवी की। इस बीच वर्ष 2018 में उनकी मृत्यु हो गई तो छोटे भाई राजकिशोर उर्फ बबलू दुबे ने पूरी लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए वह उच्च न्यायालय तक जाएंगे।  

  
ये पुलिस कर्मी हुए दोषी


अवैध हिरासत में रखने वाले छह पुलिस कर्मी दोषी पाए गए हैं। इनमें तत्कालीन किशनी एसओ विजय सिंह निवासी बनेल थाना पहासू बुलंदशहर, उप निरीक्षक रामअवध निवासी बरुईन थाना जमानिया गाजीपुर, कांस्टेबल सुशील कुमार निवासी बहलोलपुर सकीट एटा, देवेंद्र कुमार निवासी मदैम थाना राया मथुरा, नरेंद्र कुमार गौतम निवासी समिट कालोनी हाथरस और दुर्गेश कुमार निवासी मोतीपुरम प्रेमनगर बरेली शामिल हैं।
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