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बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में घमासान, प्रदेश प्रभारी को हटाने की मांग; नेतृत्व में बदलाव की आवाज तेज

deltin33 2025-11-17 02:08:01 views 1176
  

बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में घमासान प्रदेश प्रभारी को हटाने की मांग (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में महागठबंधन की अप्रत्याशित दयनीय हार के बाद केवल राजद ही नहीं कांग्रेस के भीतर भी सियासी बेचैनी का उबाल सामने आने लगा है।

चुनावी रणनीति के संचालन, गठबंधन में तालमेल के अभाव, टिकट बंटवारे में घालमेल से लेकर पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं-नेताओं की अनदेखी जैसी चूक के मसले उठाते हुए राज्य संगठन में तत्काल नेतृत्व परिवर्तन से लेकर एआइसीसी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को प्रभावहीन और नाकाम बताते हुए उन्हें हटाए जाने की मांग उठाई जाने लगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पार्टी हाईकमान चुनावी हार के बाद अपने नेताओं द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर अभी तो चुप है मगर इसके पुख्ता संकेत हैं कि जल्द ही बिहार में कांग्रेस की दयनीय हार की समीक्षा के लिए पार्टी नेताओं की एक समिति की गठन करेगा। राज्यों में हार की समीक्षा के बाद ही फेरबदल जैसे कदम उठाने का शीर्ष नेतृत्व फैसला लेता रहा है।
क्या हटाए जाएंगे बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

इसके मद्देनजर बिहार में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम से लेकर कृष्णा अल्लावरू को हटाने की मांग पर तत्काल कदम उठाया जाएगा इसमें संदेह है। बशर्ते दोनों तुरंत प्रभाव से खुद अपने दायित्वों को छोड़ने की सार्वजनिक घोषणा न कर दें। परायज के कारणों की पड़ताल में हाईकमान चाहे जो समय लगाए मगर पार्टी नेताओं की ओर से कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के तमाम कारण गिनाते हुए राजेश राम और अल्लावरू को जवाबदेह ठहराया जा रहा है।

इसी तरह कांग्रेस के ताकतवर संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल का हिन्दी भाषी राज्यों के नेताओं-कार्यकर्ताओं से बेहद सीमित जुड़ाव और जमीनी राजनीतिक हकीकत से कोई राब्ता नहीं होने का सवाल भी अब पार्टी के भीतर उठ रहा है। वेणुगोपाल इसलिए पार्टी में सबसे ताकतवर हैं कि वे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के सबसे भरोसेमंद करीबी हैं।

जाहिर तौर पर अल्लावरू पर हमला और वेणुगोपाल के संगठन महासचिव की क्षमता पर सवाल उठाकर पार्टी नेता कहीं न कहीं परोक्ष रूप से कांग्रेस हाईकमान पर भी इसकी जवाबदेही डाल रहे हैं। अल्लावरू भी राहुल गांधी के करीबियों में गिने जाते हैं तभी कम राजनीतिक अनुभव के बावजूद उन्हें बिहार जैसे सियासी रूप से जागरूक और बड़े राज्य का प्रभारी बनाया गया।चुनाव से कुछ महीने पहले अल्लावरू ने पार्टी कार्यकर्ताओं को राजनीतिक सक्रियता का टारगेट देकर कुछ हलचल भी मचाई मगर नतीजों से साफ है कि उनकी पहल हवा हवाई साबित हुई है।

इसीलिए नतीजे आने के बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने विफलता के लिए अल्लावरू तथा राजेश राम पर हमले शुरू करते हुए परोक्ष रूप से हाईकमान की चुनावी रणनीति पर भी सवाल उठाने का सिलसिला प्रारंभ कर दिया है। चुनाव नतीजे के दिन ही बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह तथा निखिल कुमार ने राजेश राम और अल्लावरू की जवाबदेही तय करने की आवाज उठा दी।
किसे ठहराया गया जिम्मेदार

निखिल कुमार ने तो बकायदा दोनों को अक्षमता को देखते हुए हटाए जाने की खुलकर पैरोकारी भी की। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि हाईकमान को गहराई से हार की त्वरित पड़ताल कर संगठन में बदलाव का निर्णायक कदम उठाते हुए सुनिश्चित करना चाहिए कि जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी न हो ताकि भविष्य में कांग्रेस को ऐसे बुरे चुनावी नतीजे का सामना न करना पड़े।

इसीतरह पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य तारिक अनवर ने उम्मीदवारों के चयन में गंभीर त्रुटि, गठबंधन के सहयोगी दलों से तालमेल की कमजोरी के साथ कृष्णा अल्लावरू, राजेश राम और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान की तिकड़ी को पार्टी की दयनीय स्थिति के लिए सार्वजनिक रूप से जिम्मेदार ठहराने में हिचक नहीं दिखाई है।

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