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Rohini Acharya: कभी लालू की ताकत था परिवार, अब एक-एक हो रही टूट; पार्टी के मनोबल पर क्या होगा असर?

Chikheang 2025-11-16 19:07:10 views 918

  

लालू परिवार में दरार का पार्टी पर असर



सुनील राज, पटना। बिहार की राजनीति में राजद की चुनावी पराजय के ठीक से 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि लालू प्रसाद के परिवार में एक और बड़ी फूट पड़ गई। राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बड़ी पुत्री और छपरा संसदीय सीट से उम्मीदवार रोहिणी आचार्य की कुछ भावनात्मक और आक्रामक एक्स पोस्ट और एक वीडियो ने बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली परिवार के भीतर उभर रहे गहरे संकट का सार्वजनिक विस्फोट कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्यास और परिवार से नाता तोडऩे का एलान वह भी इतने भावनात्मक व आक्रोश भरे शब्दों में परिवार के अंदर की कलह की कहानी है। महत्वपूर्ण यह है कि रोहिणी का बयान भी ऐसे समय में आया है जबकि राजद चुनावी हार, नेतृत्व असंतुलन और संगठनात्मक बिखराव से गुजर रहा है।

रोहिणी के शब्द हैं, “कल मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूं और मैंने अपने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी। करोड़ों रूपए लिए, टिकट लिया तब लगवाई गंदी किडनी। सभी बेटी-बहन, जो शादीशुदा हैं उनको मैं बोलूंगी कि जब आपके मायके में कोई बेटा, भाई हो तो भूल कर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं। अपने भाई उस घर के बेटे को ही बोले कि वो अपनी या अपने किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दे।“
कमजोरी में बदली लालू की ताकत

रोहिणी की नाराजगी संकेत है कि लालू परिवार की वह एकजुट छवि, जो कभी पार्टी की ताकत मानी जाती थी, अब बिखरने लगी है। रोहिणी आचार्य ने अत्यंत संवेदनशील मामला उठाया है। यह सिर्फ एक निजी पीड़ा नहीं, बल्कि पार्टी और परिवार के अंदर नैतिक व भावनात्मक दिवालियापन का संकेत है।

जब एक पिता को बचाने के लिए दिया गया सबसे बड़ा बलिदान गंदी किडनी कहकर अपमानित किया जाए, तो यह बताता है कि परिवार के अंदर रिश्ते किस हद तक टूट चुके हैं। लालू-राबड़ी परिवार दशकों से एक राजनीतिक इकाई की तरह काम करता रहा है। लेकिन अब वही परिवार राजद के लिए बोझीला विवाद बनता जा रहा है।

तेजप्रताप यादव की अनिश्चित, विवादित और अस्थिर राजनीतिक शैली पहले ही पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाती रही है। अब रोहिणी का आरोपों के बीच परिवार छोडऩा पार्टी में एक और झटका है, क्योंकि रोहिणी वह चेहरा थीं जिन्हें लोग भावनात्मक रूप से लालू से जोड़कर देखते थे।
पार्टी का मनोबल होगा कमजोर

बिहार विधानसभा चुनावों में राजद की करारी हार के बाद पार्टी का मनोबल गिरा हुआ है। तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं, तेजप्रताप का गैर-जिम्मेदार व्यवहार पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है और संजय यादव-रमीज जैसे सलाहकारों की भूमिका को लेकर पहले ही परिवार में अंदरूनी नाराजगी है।

ऐसे समय में रोहिणी का यह बयान महज भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि संगठनात्मक संकट की तरफ संकेत है। इससे जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि राजद सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि निजी मतभेदों में उलझा हुआ परिवार बन चुका है।

लालू प्रसाद की करिश्माई राजनीति का एक प्रमुख आधार हमेशा उनका परिवार रहा—राबड़ी देवी, तेजस्वी, तेजप्रताप, मीसा, रोहिणी। यह सामूहिकता आरजेडी समर्थकों में एक विश्वास पैदा करती थी कि नेतृत्व एकजुट है, परंतु लालू का वह ब्रांड वैल्यू और वह अब वह धारणा टूट रही है। ये सब संकेत देते हैं कि लालू परिवार की वह एकता, जो कभी पार्टी की सबसे बड़ी पूंजी थी, अब क्षरण की कगार पर खड़ी है।
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