जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के लोधी रोड स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में चौदहवें दलाईलामा की जीवनी पर आधारित अनश्वर पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मविभूषण डाॅ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि दलाईलामा विभिन्न योग विधाओं और आत्मीय शक्तियों के ज्ञाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जोशी ने कहा कि चीन ने अपनी आक्रामक नीतियों से न केवल दलाईलामा को निर्वासित होने पर मजबूर किया बल्कि तिब्बत के लोगों का भी दमन किया और उनकी सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोशिशें कीं।
डाॅ. जोशी ने कहा कि चीन द्वारा तिब्बतियों पर किए जा रहे अत्याचारों के कारण तिब्बत के लोगों को अपना देश छोड़कर भारत के विभिन्न राज्यों में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने भारत और चीन की नीति में अंतर बताते हुए कहा कि भारत ने कभी किसी धर्म या व्यक्ति को हानि नहीं पहुंचाई।
चीन ने जिस तरह बोध और तिब्बत के लोगों का संहार किया। वह गलत था, उसके बावजूद दलाईलामा ने कभी हथियार नहीं उठाया, उन्होंने अपने सिद्धांतों पर चलकर शांतिपूर्वक संघर्ष किया और आज भी तिब्बत के लोग शांति, अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए प्रेमपूर्वक रहते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद प्रसिद्ध दार्शनिक पद्मविभूषण डा. कर्ण सिंह ने कहा कि चीन को बौद्ध धर्म से परिचित करने वाले ही तिब्बत के लोग है। ये भारत भूमि की महिमा थी कि यहां से बौद्ध धर्म चीन गया।
आज भारत में अलग अलग जगहों पर तिब्बत के लोग हैं और बौद्ध धर्म का प्रचार- प्रसार कर रहे हैं। वहीं, इस किताब के लेखक डाॅ. अरविंद यादव, दलाईलामा के प्रतिनिधि के रूप में उनके शिष्य गेशे दोर्जी दमदुल, भारत की पूर्व आइपीएस अधिकारी किरण वेदी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
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