search

AIMIM की रणनीति ने पलटा पासा, ओवैसी के आगे कमजोर पड़ गई कांग्रेस और महागठबंधन

deltin33 2025-11-16 00:42:58 views 1244
  

एआईएमआईएम की रणनीति ने पलटा पासा। (जागरण)



चंद्रभूषण सिंह, बहादुरगंज (किशनगंज)। शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव की हुई मतगणना के बाद विजयी प्रत्याशी के घर चहल-पहल बढ़ गयी है। जबकि चुनाव में हारे प्रत्याशी के घर सन्नाटा पसरा हुआ है।

बीच- बीच में कुछ समर्थक उनके घर पहुंचकर दुख व्यक्त करते हुए उनका हौसला अफजाई कर रहे हैं। उधर चौक-चौराहे में लोग आपस में बैठकर चुनाव में हार-जीत को लेकर चर्चा करते रहे।

लोगों ने AIMIM के प्रत्याशी मु. तौसीफ आलम की जीत के लिए उनके सुव्यवस्थित चुनावी रणनीति बताया। लोगों का कहना है कि चार बार विधायक रहे मु. तौसीफ आलम स्वयं कुशल रणनीतिक है। उनके बड़े भाई पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष सह वर्तमान जिला पार्षद प्रतिनिधि फैयाज आलम के मजे हुए राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाकर विजयश्री दिलाने में अहम भूमिका निभाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हैदराबाद से आये विधायक माजिद हुसैन ने बहादुरगंज विधानसभा चुनाव में किये गये कैंप के साथ नुक्कड़ सभा के अलावा अपने परंपरागत महिला वोटरों के बीच जनसंपर्क अभियान चलवाकर एक मुश्त वोट बटोरने में सफल रहे। जबकि अन्य किसी पार्टी या प्रत्याशी के द्वारा कोई भी सफल चुनावी रणनीति नहीं बनाये जाने से हार का सामना करना पड़ा।

महागठबंधन के प्रत्याशी मु. मुस्सबिर आलम व एनडीए के प्रत्याशी मु. कलीमुद्दीन सिर्फ प्रचार तक की सिमट गये। अलग से कोई रणनीति नहीं बनाई। महागठबंधन के सहयोगी पार्टी कांग्रेस के प्रत्याशी मु मुस्सबिर आलम ने स्वीकार किया किये उनके चुनावी रणनीति में कुछ त्रुटिया रह गई थी।

कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद समय की कमी के कारण योजनाबद्ध तरीके से जनसंपर्क नहीं किया जा सका। विधानसभा क्षेत्र में जरूरत से अधिक जनसभा आयोजित होने से अधिकांश समय उसी में बीत गया। जिस कारण चाहकर भी गांव-गांव मतदाताओं से संपर्क नहीं कर पाना काफी भारी पड़ा।

कुछ समर्पित सहयोगियों भरपूर मदद किये। परंतु कुछ ऐसे भी जिम्मेदार साथी थे जो और भी बेहतर भूमिका निभा सकते थे। कहा कि उन्हें हर तबके के बुद्धिजीवियों का सहयोग व साथ मिला। कुछ लोग बिना बताये भी पर्दे के पीछे से सहयोग किये। उन्होंने कहा कि यह चुनावी बाजी जीती जा सकती थी। परन्तु कुछ रणनीति की चूक के कारण भारी पड़ गया।

उनका कहना था कि वे हारे जरूर है, पर निराश नहीं हैं। सहयोग के लिए सबों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में लोगों के हर सुख दुख में खड़े होने का भरोसा दिलाया। उधर जदयू के जिला महासचिव डॉ. नजीरुल इस्लाम का मानना है कि ठाकुरगंज के जैसा बहादुरगंज विधानसभा सीट एनडीए जीत सकती थी।

परन्तु शीर्ष नेतृत्व के कुछ गलत निर्णय व एनडीए प्रत्याशी मु. कलीमुद्दीन के द्वारा सभी सहयोगी पार्टियों का सदुपयोग नहीं करने से निश्चय रूप से जीती हुई बाजी एनडीए हार गई। उनका कहना था कि शीर्ष नेतृत्व को स्थानीय प्रत्याशी देना था।जबकि लोजपा आर बिना संगठनात्मक के पार्टी प्रत्याशी बनाये जाने से परेशानी हुई।

वहीं, एनडीए के प्रत्याशी ने सहयोगी पार्टी के एक मात्र विंग भाजपा के सदस्यों को चुनावी दायित्व सौपें। जबकि मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में जदयू के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को उस अनुरूप जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। एनडीए के सहयोगी पार्टी भाजपा ने जिस तरह कार्य कर अपने परंपरागत वोटों को लोजपा आर के प्रत्याशी को दिलवाने में सफल रहे।

उन्होंने कहा कि कई जगह बूथ लिस्ट का भी वितरण नहीं किये जाने से कार्यकर्ता के अभाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वोट देने की चाहत रखने वाली महिला पहल के अभाव में अभाव एनडीए को वोट तक नहीं डाल पाये। फलस्वरूप अन्य पार्टी के सार्थक पहल के कारण हमारा वोट अन्य पार्टी को चला गया।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Previous / Next

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1410K

Threads

0

Posts

4210K

Credits

administrator

Credits
421500

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com