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Delhi-NCR में प्रदूषण बेकाबू: कई इलाकों में AQI 500 के पार, GRAP-3 की पाबंदियां रहीं बेअसर

Chikheang 2025-11-15 14:37:07 views 261

  

सड़कों पर धूल सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है सीएक्यूएम एनसीआर। pic credit-ANI



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर लोगों की सांसों पर बोझ बन गई है। तापमान में गिरावट, हवा की गति धीमी होने और लगातार बढ़ते प्रदूषण स्रोतों के कारण राजधानी दिन-ब-दिन धुंध की मोटी चादर में लिपटती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोज़ाना बढ़ता पीएम 2.5 और पीएम 10 स्तर इस बात का संकेत है कि दिल्ली की हवा अब खतरनाक श्रेणी को पार कर ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंच गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस बीच, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर दर्ज किया गया। वजीरपुर 556 AQI के साथ सबसे अधिक प्रदूषित रहा, वहीं सोनिया विहार में 500 और बुराड़ी में 477 दर्ज किया गया। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रदूषण का बोझ पूरे NCR पर समान रूप से बढ़ रहा है।
Delhi-NCR  के कुछ प्रमुख इलाकों का हाल
Air Quality Index (AQI) at Key Monitoring Stations

  
    Station Name AQI
   
   
   वजीरपुर
   556
   
   
   सोनिया विहार
   500
   
   
   बुराड़ी
   477
   
   
   रोहिणी
   473
   
   
   सत्यवती कॉलेज
   469
   
   
   इंदिरापुरम
   459
   
   
   चांदनी चौक
   450
   
   
   वसुंधरा (गाजियाबाद)
   449
   
   
   नोएडा सेक्टर-125
   446
   
   
   नोएडा सेक्टर-116
   444
   

सोर्स- https://aqicn.org/

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए CAQM (Commission for Air Quality Management) अब NCR की मुख्य सड़कों पर डस्ट सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है, ताकि सड़क धूल की वास्तविक निगरानी हो सके और स्रोतों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। अधिकारियों का मानना है कि सड़क धूल और निर्माण कार्यों में लापरवाही, प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही है।

  


  


Delhi pollution: CAQM mulls dust sensors on NCR roads to monitor toxic air

Read @ANI Story | https://t.co/Ntis511cdX#Delhipollution #NewDelhi #CAQM pic.twitter.com/Tv9PwUVApc— ANI Digital (@ani_digital) November 15, 2025

Grap-3 के नियमों का उल्लंघन

इसके बावजूद, GRAP-3 लागू होने के बावजूद एजेंसियां सख्ती दिखाने में नाकाम रहीं। निर्माण स्थलों पर रोक, पानी का छिड़काव, सड़क सफाई—इन सभी मोर्चों पर कई विभाग फेल साबित हुए हैं। नतीजा यह कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए प्रावधान कागजों तक ही सीमित दिखाई देते हैं, जबकि जमीन पर हवा और ज़्यादा जहरीली होती जा रही है।

सरकारी एजेंसियों की लगातार चूक और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, दिल्ली-एनसीआर की हवा आने वाले दिनों में और बिगड़ सकती है, जो लोगों की सेहत के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
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