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अल-फलाह यूनिवर्सिटी से दिल्ली ब्लास्ट तक: गांवों में फैला आतंकी नेटवर्क, लोकल मददगारों की तलाश में पुलिस

LHC0088 2025-11-15 13:37:22 views 1038
  

जांच करती पुलिस। जागरण



जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकी गतिविधियों के तार दूर-दूर तक फैलते जा रहे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार बिना लोकल सपोर्ट के आतंकी गतिविधियां चलाना मुनासिब नहीं है। इसलिए अब पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां इनके लोकल नेटवर्क के बारे में पता लगाने में जुट गई हैं।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आतंकियों के गिरफ्तार होने के बाद अब इनके मददगारों की तलाश की जा रही है। पुलिस को पूरा शक है कि लोकल नेटवर्क अभी भी पूरी तरह से एक्टिव है, जो पल-पल की सूचना प्रेषित कर रहे हैं। विशेष तौर पर यूनिवर्सिटी के आसपास के जो गांव मुस्लिम बहुल हैं। अभी तक कई गतिविधियों में इन गांव से सीधा कनेक्शन मिल गया है।  

मुस्लिम बहुल फतेहपुर तगा गांव की डहरा कालोनी में विस्फोटक मिला। मुस्लिम बहुल गांव धौज में यूनिवर्सिटी है, यहीं पर बने एक मकान के अंदर भी विस्फोटक मिला। सूत्रों के अनुसार धौज गांव में ही यूनिवर्सिटी परिसर में बनी मस्जिद का इमाम इश्तियाक आने वाले लोगों का ब्रेनवाश करता था।
आतंकियों के संपर्क में थे गांव के लोग?

दिल्ली में धमाका करने वाले डा. उमर नबी बट के नाम से पंजीकृत लाल रंग की कार मुस्लिम बहुल गांव खंदावली में खड़ी मिली। यह कार गांव के रहने वाले फहीम के घर के बिल्कूल सामने थी। पता यह भी चला है कि कार को धौज गांव का रहने वाला वासिद नामक युवक खड़ी करके गया था। सीधा सा मतलब है कि खंदावली, धौज, फतेहपुर तगा, टीकरी खेड़ा गांव के ही रहने वाले शख्स आतंकियों के संपर्क में जरूर थे, वरना यहां तक कार कैसे पहुंची।  

पूरा अंदेशा है कि अभी भी पूरा नेटवर्क पुलिस की पहुंचे से काफी दूर है। पुलिस ने समय रहते नेटवर्क को ध्वस्त नहीं किया तो बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। डा. मुजम्मिल भी था ग्रामीणों के संपर्क में: यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार डा. मुजम्मिल धौज, फतेहपुर तगा, टीकरी खेड़ा सहित अन्य मुस्लिम बहुल गांव के ग्रामीणों के संपर्क में था।  

मुजम्मिल की अक्सर ड्यूटी आपातकालीन विभाग में रात को होती थी। इसलिए यहां आने वाले मरीजों का इलाज करते समय वह काफी बातें भी करता था। मरीज भी उससे प्रभावित थे।

अब पुलिस ऐसे लोगों की तलाश कर रही है, जो मुजम्मिल के अधिक संपर्क में थे और बात भी करते थे। मोबाइल फोन की काल डिटेल व चैट की जांच: लोकल कनेक्ट व मददगारों के बारे में जांच एजेंसियों को आतंकियों के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स, वाट्सएप चैट, टेलीग्राम, फेसबुक या अन्य इंटरनेट मीडिया के साधनों से सुराग मिल सकता है।
यूनिवर्सिटी के आसपास आता-जाता रहता था डॉ. उमर

पुलिस सूत्रों के अनुसार डा. उमर भी यूनिवर्सिटी के आसपास के इलाकों में खूब आता-जाता देखा गया था। इसलिए उसका नेटवर्क जरूर मिल सकता है। जांच एजेंसियां अब आतंकियों से बरामद फोन की लैब में जांच करा रही हैं। कश्मीरियों की जांच शुरू: अल फलाह यूनिवर्सिटी के डा. उमर द्वारा फरीदाबाद से खरीदी गई आइ-20 कार से दिल्ली में धमाका किया।

यूनिवर्सिटी के ही डा. मुजम्मिल के किराये के घरों से 2923 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था। यहीं पर तैनात डा. शाहीन की कार से एके-47 राइफल, गोलियां सहित अन्य सामान बरामद हुई। यूनिवर्सिटी के ही डा. निसार की संलिप्तता भी सामने आ रही है। यहीं पर परिसर में मौजूद मस्जिद के इमाम इश्तियाक भी पूरी साजिश में शामिल था।
सुरक्षा एजेंसियों में मची खलबली

आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनी यूनिवर्सिटी को लेकर जिला पुलिस ही नहीं बल्कि गुप्तचर एजेसियों में खलबली मची हुई है। कश्मीरी डाक्टरों की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता सामने आने पर अब पुलिस सतर्कता बरत रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार अब पुलिस जिलेभर में रह रहे कश्मीरियों का डाटा एकत्र करेगी। इनके बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाएगी कि वह जिले में कब आए थे, किस मकसद से आए थे और फिलहाल क्या कर रहे हैं। इस बारे में संबंधित थाना पुलिस अपने-अपने क्षेत्र में इनका डाटा तैयार करेंगे।
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