बिहार में NDA की जीत के हीरो INDI गठबंधन के खलनायक (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) ने बड़ी जीत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। 243 सीटों वाली विधानसभा में NDA ने 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाई है। यह प्रदर्शन उसके 2010 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ताहै। इस नतीजे के साथ मुख्यमंत्री नितिश कुमार का नेतृत्व फिर मजबूत हुआ है और NDA की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विजेता टीम
नितिश कुमार
20 साल से सत्ता में रहने के बावजूद नितिश कुमार की पार्टी JDU ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है। जेडीयू 80 से ज्यादा सीटों पर आगे रही। NDA की कुल बढ़त ने नितिश कुमारको लगातार पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। तेजस्वी यादवकी \“युवा बनाम अनुभव\“ वाली लाइन वोट में नहीं बदल पाई।
चिराग पासवान
चिराग इस चुनाव के सबसे बड़े विजेताओं में शामिल रहे। 2020 में सिर्फ 1 सीट जीतने वाली उनकी LJP(RV) ने इस बार 29 में से 22 सीटों पर जीत/बढ़त हासिल की। दलित वोट, युवा वोट और पासवानसमुदाय का मजबूत समर्थन उनके साथ रहा।
AIMIM और असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM ने सीमांचल में फिर अच्छा प्रदर्शन किया। पार्टी ने 4 सीटें जीतीं, जोकीहाट, कोचाधामन, अमौर और बैसी। ये वही सीटें हैं जिन्हें AIMIM ने 2020 में भी जीता था।
महिला वोटर
इस बार महिलाओं ने चुनाव का रुख बदल दिया। पहली बार महिलाओं की वोटिंग पुरुषों से 9 प्रतिशत ज्यादा रही-महिलाएं: 71.6% वपुरुष: 62.8% महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाएंजैसे 10,000 रुपये वाली मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजनाने NDA को बड़ा लाभ दिया।
NDA के सहयोगी दल
- NDA के छोटे दलों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया
- HAM (जीतनराम मांझी): 6 में से 5 सीटों पर आगे
- LJP(RV): 20 सीटों पर आगे
- RLM (उपेन्द्र कुशवाहा): 4 सीटों पर आगे
हारने वाली टीम
तेजस्वी यादव और RJD
RJD इस चुनाव के सबसे बड़े नुकसान में रही। पार्टी 19 सीटों पर ही सिमट गई, जो उसके इतिहास का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है (2010 में 22 सीटें)। तेजस्वीअपनी राघोपुर सीट जीत गए, लेकिन उनका राज्यव्यापी प्रभाव नहीं दिखा।
राहुल गांधी और कांग्रेस
कांग्रेस फिर से बिहार में कमजोर साबित हुई और सिंगल डिजिट में सिमट गई। \“वोटर अधिकार यात्रा\“, \“वोटचोरी\“ का आरोप और SIR पर अभियान,कोई भी रणनीति जनता के साथ जुड़ नहीं पाई।
प्रशांत किशोर
लंबी पदयात्रा और बड़ी चर्चा के बावजूद प्रशांत किशोरकी जन सुराजपार्टी जनता को आकर्षित नहीं कर पाई। पार्टी को NOTA से भी कम वोट मिले और चुनाव न लड़ने के उनके फैसले ने और भ्रम पैदा किया।
मुकेश साहनी
महागठबंधन ने उन्हें डिप्टी सीएम फेस तक घोषित किया था, लेकिन उनकी VIP पार्टी प्रदर्शन नहीं कर पाई। निषाद वोट इस बार NDA की ओर झुक गया।
INDI गठबंधन
INDI गठबंधन को बड़ी हार मिली। सीट-शेयरिंग विवाद, अस्पष्ट नेतृत्व और कमजोर कैंपेन के कारण सिर्फ 32 सीटों पर बढ़त मिली। कांग्रेस और RJD दोनों का आधार सिकुड़ा और वाम दलों की पकड़ भी ढीली पड़ी।
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