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Bihar Chunav: बिहार चुनाव में कितना फिट बैठा CM मोहन यादव का प्लान? प्रचंड जीत के बाद सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

LHC0088 2025-11-14 22:07:01 views 352
  

बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम मोहन यादव। (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं ने फिर बिहार चुनाव में अपना संगठन कौशल दिखाया है। पार्टी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद और प्रदेश प्रभारी डा. महेंद्र सिंह सहित अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं को बिहार भेजा था। इन्होंने सभा, रोड शो के साथ बूथ प्रबंधन किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मोहन यादव के प्रचार वाली 21 सीटों पर जीत

डॉ. मोहन यादव के प्रचार वाली 21 सीटें भाजपा (एनडीए) ने जीती हैं। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित ओबीसी वर्ग के नेताओं को भेजा था लेकिन ये सभी बेअसर रहे। भाजपा ने बिहार में डॉ. मोहन यादव को चुनाव से पहले ही सक्रिय कर दिया था। उन्होंने राजनीतिक के साथ सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया।

पार्टी ने डॉ. मोहन यादव को स्टार प्रचारक बनाया था। उन्होंने लगभग आधे बिहार में 28 सभाएं और रोड शो किए। इनमें से 21 सीटें भाजपा जीती। इसी तरह संगठन ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को 19 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी थी। इनमें से 17 पर एनडीए ने जीत प्राप्त की। करीब एक महीने तक वे बिहार में ही रहे और बूथ प्रबंधन का काम भी देखा।

हितानंद और डॉ. महेंद्र सिंह को तिरहुत और मिथिला क्षेत्र की 58 सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों टीम के साथ लगभग डेढ़ माह बिहार में रहे। उन्होंने बूथ प्रबंधन को लेकर काम किया, जिसका लाभ यह हुआ कि तिरहुत क्षेत्र की 28 में से 26 और मिथिला की 30 में से 24 सीटें एनडीए ने जीती हैं।
मोहन यादव ने क्या कहा?

एनडीए की जीत पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राजद को डुबाने का काम किया परिणाम उत्साहवर्धक हैं। देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकासपरक राजनीति वर्ष 2014 से देखी है। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद बिहार के परिणाम यह बता रहे हैं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा और एनडीए की लहर चल रही है। कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों की कुव्यवस्था से जनता का मन टूट चुका है। इस चुनाव में कांग्रेस ने राजद को डुबाने का काम किया है।
दिग्विजय सिंह ने क्या कहा?

एसआईआर का खेल हो गया जो मेरा शक था, वही हुआ। 62 लाख वोट कटे। 20 लाख जुड़े, उसमें से पांच लाख बिना एसआईआर फॉर्म भरे ही बढ़ा दिए गए। अधिकतर वोट गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के काटे गए। ईवीएम पर तो शंका बनी हुई है।

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