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वारिसलीगंज सीट: बाहुबली की पत्नियों में सीधी भिड़त, 20 साल बाद किसे चुनेगी जनता?

cy520520 2025-11-14 21:42:59 views 556

  

बाहुबली की पत्नियों में सीधी भिड़त



डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वारिसलीगंज सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। क्योंकि यहां मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो बाहुबली परिवारों के 20 साल पुराने वर्चस्व की कहानियों, स्थानीय प्रभाव और जातीय समीकरणों के बीच फंसा हुआ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस बार मैदान में आमने-सामने हैं RJD की अनीता देवी और BJP की अरुणा देवी, दोनों ही अपने-अपने समय के कुख्यात और प्रभावशाली बाहुबलियों की पत्नियां है।

वारिसलीगंज विधानसभा नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहां की राजनीति पिछले दो दशकों से दो ही परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, अशोक महतो और अखिलेश सिंह उर्फ अखिलेश सरदार।


अशोक महतो—जिनका नाम कुख्यात जेलब्रेक कांड से लेकर कई चर्चित मामलों में रहा है, इस समय 17 साल की सज़ा काट रहे हैं। उनकी पत्नी अनीता देवी, RJD टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

वहीं दूसरी तरफ अरुणा देवी, जो 90 के दशक में नवादा, शेखपुरा और जमुई तक प्रभाव रखने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी हैं।

अखिलेश सिंह, जिन्हें स्थानीय लोग ‘सरदार’ के नाम से जानते थे, वो लंबे समय तक इस इलाके की राजनीति का चेहरा रहे।

उनके निधन के बाद अरुणा देवी ने न सिर्फ राजनीतिक विरासत संभाली, बल्कि वारिसलीगंज की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ भी बना ली है।

इस सीट का दिलचस्प पहलू यह है कि पिछले 20 वर्षों में या तो अखिलेश सिंह के परिवार या अशोक महतो के परिवार का कोई सदस्य ही इस विधानसभा सीट पर जीतता आया है।

इस दौरान अशोक महतो के भतीजे प्रदीप महतो और BJP की अरुणा देवी ने यहां बार-बार चुनाव जीते और सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी।

इस बार मुकाबला इसलिए भी खास है क्योंकि राज्य की सत्ता बदलने की हवा के बीच वारिसलीगंज में किसका प्रभाव भारी पड़ेगा, यह पूरे नवादा जिले में राजनीतिक चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गया है।


अनीता देवी जातीय समीकरण और RJD के कोर वोट बैंक पर भरोसा कर मैदान में उतरी हैं, जबकि अरुणा देवी BJP की मशीनरी, केंद्रीय नेतृत्व के समर्थन और अपने परिवार की मजबूत पकड़ पर दांव लगा रही हैं।

वारिसलीगंज में चुनाव सिर्फ वोट का नहीं, बल्कि दो बाहुबली परिवारों की राजनीतिक विरासत का भी फैसला है, अब तो नतीजा यह तय करेगा कि अगला ‘सरदार’ कौन बनेगा।
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