. उमर को अल-फला यूनिवर्सिटी में नियुक्ति कैसे मिली (File Photo)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने जिस डॉक्टर निसार उल हसन को देश की एकता और अखंडता के लिए घातक बताते हुए, बर्खास्त किया था वह भी अल-फलाह विश्वविद्यालय की फैक्युलिटी में शामिल है।
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने जैश और अंसार गजवतुल हिंद जैसे आतंकी संगठनों के जिस माडयूल का पर्दाफाश किया है, उसके अधिकांश सदस्य इसी विश्वविद्यालय से जुड़े निकले हैं। लाल किले के पास 10 नवंबर को विस्फोटकों से भरी कार के जरिए धमाका कर 12 लोगों की जान लेने वाला आतंकी डॉक्टर उमर भी इसी संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आतंकी मॉडयूल और लाल किले के पास बम विस्फोट के मामले की जांच में शामिल जम्मू कश्मीर पुलिस के अधिकारी उस समय हैरान रह गए,जब उन्होंने अल-फलाह विश्वविद्यालय की फैक्युलिटी और वहां कार्यरत उन डाक्टरों व पैरामेडिकल कर्मियों की जांच शुरु की जो डा उमर व आतंकी माडयूल के सदस्यों के करीबी माने जा रहे हैं, में डा निसार उल हसन का नाम भी सामने आया। डॉ. निसार उल हसन वहां करीब डेढ़ वर्ष से पढ़ा रहे हैं।
एसएमएचएस मेडिसन विभाग में था असिस्टेंट प्रोफेसर
यहां यह बताना अंसगत नहीं हाेगा कि डॉ. निसार उल हसन जो श्रीनगर स्थित एसएमएचएस अस्पताल श्रीनगर में मेडिसन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे,को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत 2023 में बर्खास्त कर दिया था। उन्हें बर्खास्त करने के आदेश में बताया गया था कि वह डा निसार उल हसन की गतिविधियां देश की एकता-अखंडता के नुक्सान पहुंचाने वाली हैं।
मूलत: उत्तरी कश्मीर में बारामूला के रहने वाले डॉ. निसार उल हसन को कट्टरपंथी अलगाववादी तत्वों का समर्थक माना जाता रहा है। उन्हें नवंबर 2023 में बर्खास्त कियागया। बर्खास्तगी से एक दिन पूर्व ही उन्हें प्रदेश सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया था।
तीन दिन से लापता है था निसार
डॉ. निसार उल हसन के करीबियों के मुताबिक, वह तीन दिन से लापता हैं। कुछ लोगों ने दावा किया है कि उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है,लेकिन पुलिस ने अधिकारिक तौर पर डा निसार उल हसन को गिरफ्तार करने या पूछताछ के लिए हिरासत मे लिए जाने की कोई पुष्टि नहीं की है।
इस बीच, मामले की जांच में जुटे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अल-फलाह विश्वविद्यालय और पकड़े गए आतंकी माडयूल के रिश्तों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉ निसार उल हसन की नियुक्ति से पूर्व उनकी पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई है।
जिस तरह से जिहादी मानसिकता के तत्व इस विश्वविद्यालय में मिल रहे हैं,उसके बाद तो यह विश्वविद्यालय जिहादियों का एक केंद्र ही कहलाएगा। लाल किले के पास हमला करने वाला डॉ. उमर भी यहीं पढ़ा रहा था, डॉ. मुजम्मिल भी यहीं था, डॉ. शाहीन भी इस संस्थान में । |