पोडियम का पहले का और बाद का सीन।
संतोष शर्मा, जागरण, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में 15 अगस्त को जिस मंच (पोडियम) पर तिरंगा लहराया गया था उसे ही ध्वस्त करा दिया।मेडिकल कालेज और यूनिवर्सिटी परिसर में यह मामला कई दिनों से चर्चाओं का विषय बना हुआ है। कुलपति से भी इसकी शिकायत हुई। जिसमें मंच को नष्ट करने और राष्ट्रीय संपत्ति के अनादार का आरोप लगाया है। शिकायत के बाद ड्रम में मिट्टी भरकर पोडियम बनाया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
15 अगस्त को तत्कालीन प्रिंसिपल ने ईंटों का बनाया था पोडियम
जेएन मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हबीब रजा ने प्रिंसिपल व डीन रहते हुए जेएन मेडिकल कालेज में कई कार्य कराए गए थे, लेकिन उनके कुर्सी से उतरे ही उन्हें या तो बंद कर दिया गया या उन पर अमल नहीं किया जा रहा । प्रो. रजा ने ग्लास हाउस (डीन कार्यालय) के सामने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए मंच का निर्माण कराया था। स्वतंत्रता दिवस पर यहीं ध्वजा रोहण किया गया।
उनके हटते ही पार्किंग का हवाला देते हुए हटवा, कुलपति से शिकायत
नवंबर में उनके सेवानिवृत्त होने के बाद सबसे पहले पोडियम को ही ध्वस्त कर दिया गया। इसकी उन्होंने कुलपति से की शिकायत की है। जिसमें कहा है कि यह विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय संपत्ति के प्रति घोर उल्लंघन है। राष्ट्रीय संपत्ति के किसी भी अनादर के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय के विरुद्ध आरोप और मुकदमेबाजी हो सकती है। सुनिश्चित करें कि उक्त संरचना को यथाशीघ्र उसके मूल स्वरूप में पुनर्स्थापित किया जाए। जिस जगह पोडियम बना हुआ था वहां रास्ता भी बाधित नहीं हो रहा था।
कोड ब्लू बे भी नहीं भाया
प्रो. रजा के कार्यकाल के दौरान ट्रामा सेंटर में \“\“कोड ब्लू बे\“\“ की शुरुआत हुई थी। जिसका उद्घाटन कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहसिन खान ने 27 अक्टूबर को किया था। यह \“\“कोड ब्लू\“\“ बे हृदय/श्वसन अरेस्ट के मामलों में डाक्टरों/नर्सों की टीम द्वारा त्वरित कार्रवाई के लिए था। इस \“\“बे\“\“ को भी हटा दिया गया है। ट्रामा टीम के \“\“कोड ब्लू\“\“ बे का उद्घाटन भी कार्यवाहक कुलपति ने उसी दिन किया गया। यह बे पाली ट्रामा और दुर्घटनाओं, गोली और चोटों के मामलों में गंभीर चोटों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया/कार्रवाई के लिए बनाया गया था।
ये दोनों \“\“कोड ब्लू\“\“ क्षेत्र हमारे जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में \“ट्रामा सेंटर\“ के अनिवार्य घटक थे। जिन्हें बड़ी मेहनत से स्थापित किया गया था। पिछले दो महीनों से कार्यरत था। इन क्षेत्रों में लगभग 200 मरीज़ों का इलाज किया जा चुका है, जिससे कई लोगों की जान बच गई है। इन दोनों \“\“बे\“\“ को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है, जो सभी मानदंडों (राष्ट्रीय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय) के विरुद्ध है।
हेल्पडेस्क भी वीरान
ट्रामा में हेल्पडेस्क की स्थापना की थी। यहां तैनात कर्मचारी आपात स्थिति में पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा \“\“कोड ब्लू\“\“ की घोषणा करने का काम करते थे। वहां के स्टाफ को भी बिना किसी कारण के अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। शिकायत में कहा है कि यह कदम गंभीर देखभाल रोगियों के प्रबंधन में \“\“रोगी केंद्रित\“\“ मानदंडों के विरुद्ध है।
ग्लास हाउस के ऊपर ही ध्वजा रोहण होता आया है। पहली बार पोडियम बनाया गया था, जिससे पार्किंग व्यवस्था बाधित हो रही थी। इस लिए हटा दिया गया। उसकी जगह ड्रम में पोडियम बनाया गया, जिसे आसानी से उठाकर लाया और ले जाया सकता है। हेल्प डेस्क से कर्मचारी हटाने व अन्य मामलों की जानकारी नहीं है। प्रो. सैयद अहमद अली रिजवी, प्रिंसिपल जेएन मेडिकल कॉलेज |