चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने धर्मों के चीनीकरण पर दिया जोर। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को कहा कि कम्युनिस्ट राष्ट्र में धर्मों को समाजवादी समाज के साथ और अधिक अनुकूलित होना चाहिए। उन्होंने चीन में धर्मों के चीनीकरण के अपने पहले के दावे को और आगे बढ़ाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया कि चीन में धर्म चीनी संदर्भ के साथ और अधिक अनुकूलित हों। सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के एक समूह अध्ययन सत्र की अध्यक्षता करते हुए शी ने धर्मों को सक्रिय मार्गदर्शन प्रदान करने का भी आह्वान किया ताकि वे समाजवादी समाज के साथ अनुकूलित हो सकें।
धर्म संबंधी नीतियों को दिशा देने में लगे शी चिनफिंग
2012 में सत्ता में आने के बाद से शी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की धर्म संबंधी नीतियों को फिर से दिशा दे रहे हैं और उन्हें मार्क्सवादी विचारधारा के साथ जोड़ रहे हैं। इस वर्ष जुलाई में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए शी जिनपिंग के जारी दिशा-निर्देशों के तहत तिब्बती बौद्ध धर्म और अन्य धर्मों के चीनीकरण का बचाव किया था।
माओ निंग ने कहा, “मेरा मानना है कि धर्म का चीनीकरण धार्मिक आचरण पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं है बल्कि, सभी धर्मों को देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ के अनुकूल होना चाहिए। चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म एक ऐसे धर्म का प्रमुख उदाहरण है जिसने चीनी विशेषताओं को आत्मसात किया है और जो चीनीकरण की प्रक्रिया का उदाहरण है।“
चीन में धर्म को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
चीन का कहना है कि उसके पास धार्मिक स्वतंत्रता है, लेकिन उसे पार्टी द्वारा निर्धारित मापदंडों के भीतर काम करना चाहिए। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि चीनी परिस्थितियों के अनुकूल ढलने के लिए धर्मों को क्या करना चाहिए।gurgaon-local,,HSVP orders Gurugram,Sector 53 CNG station,Haryana City Gas Limited,Golf Course Road Gurugram,Parthenath Exotica Society,CNG station proposal,Haryana Shahri Vikas Pradhikaran,Punjab and Haryana High Court,Gurugram news,Haryana news
शी चिनफिंग ने क्या कहा?
2012 से अब तक लाए गए सुधारों का उल्लेख करते हुए शी ने कहा कि पार्टी ने कई नए विचार और उपाय सामने रखे हैं, जिनमें यह सिद्धांत भी शामिल है कि चीन में धर्मों का मूल स्वरूप चीनी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन में धर्मों को चीनी संदर्भ के अनुरूप ढालना, धार्मिक सद्भाव, जातीय एकता, सामाजिक सद्भाव और देश की दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि चीन में धर्मों को स्वस्थ तरीके से तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब उनकी जड़ें हमेशा चीनी संस्कृति में बनी रहें, तथा इसके लिए उत्कृष्ट पारंपरिक चीनी संस्कृति के साथ धर्मों के एकीकरण को बढ़ावा देने के प्रयासों की आवश्यकता है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुुट के साथ)
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