संविधान के लाल-काले पॉकेट संस्करण को प्रकाशित करने व बेचने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय संविधान के लाल-काले रंग में आने वाले पाॅकेट संस्करण को प्रकाशित करने या बेचने से दिल्ली हाई कोर्ट ने रूपा पब्लिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर रोक लगा दी है।
अदालत ने पाया कि रूपा पब्लिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से प्रकाशित संस्करण प्रथमदृष्टया ईस्टर्न बुक कंपनी (ईबीसी) की ओर से प्रकाशित पुस्तक के समान है।
न्याययमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने ईबीसी की ओर से दायर याचिका पर यह अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि रूपा का ट्रेड ड्रेस या डिजाइन ईबीसी के संस्करण के साथ भ्रामक रूप से समान है।
पीठ ने कहा कि रूपा पब्लिकेशंस ने एक जैसे रंग, पाठ और फाॅन्ट के साथ गिल्ट किनारा, बुक पोस्टीन रंग और उभरे हुए सुनहरे विवरण अपनाए हैं।
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अदालत ने निर्देश दिया कि रूपा इस संस्करण के अपने सभी बचे हुए स्टॉक को बाजार से हटा दे और वापस ले ले। इसके अलावा दो सप्ताह के भीतर सभी ई-काॅमर्स प्लेटफार्मों से अपनी लिस्टिंग भी हटा दे।
इस निर्देश के साथ अदलात ने मामले की सुनवाई 25 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि वादी व प्रतिवादी एक ही व्यवसाय में काम करते हैं और एक ही वर्ग के ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं, जिससे भ्रम पैदा होने की प्रबल संभावना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ईबीसी की ओर से पेश की गई सामग्री से पता चलता है कि रूपा पब्लिकेशंस ने अपने उत्पाद के लेआउट की पूरी तरह से नकल की है। ऐसी समानता उपभोक्ताओं को उक्त उत्पादों के स्रोत या उत्पत्ति के बारे में गुमराह कर सकती है।
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