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Diwali 2025 Date: 20 या 21 अक्टूबर दीवाली कब? दूर करें कंफ्यूजन, जानें तिथि, पूजा विधि और सामग्री

deltin33 2025-9-29 21:53:40 views 983

  Diwali 2025 Date: दीवाली पूजा विधि और सामग्री।





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल दीवाली की सही डेट को लेकर भक्तों के मन में कंफ्यूजन रहती है, खासकर जब अमावस्या तिथि दो दिनों तक होती है। इस साल भी यही स्थिति बन रही है, तो आइए इस आर्टिकल में हिंदू पंचांग की गणना के आधार पर जानते हैं कि दीवाली (Diwali 2025 Date) 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर कब मनाई जाएगी? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  


दीवाली 2025 कब है? (Diwali 2025 Kab Hai?)

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि (Diwali Date Confusion) की शुरुआत 20 अक्टूबर को 03 बजकर 44 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 21 अक्टूबर को 05 बजकर 54 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल दीवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Puja Shubh Muhurat)

  • लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।
  • प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।


दीपावली के दिन महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व है। प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में की गई यह पूजा घर में सुख-समृद्धि, धन और वैभव लाती है।


पूजन सामग्री (Diwali 2025 Puja Samagri)

  • भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा।
  • लाल रंग का कपड़ा
  • पंचामृत
  • शुद्ध जल/गंगाजल। |
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत, इत्र, फूल, माला, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप,।
  • खील, बताशे, गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल, मिठाई।
  • चांदी के सिक्के।
  • मिट्टी के दीये, तेल/घी, कलश आदि।

पूजा विधि (Diwali 2025 Puja Rituals)

  • पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें और स्नान करें।
  • पूजा स्थल और घर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।
  • एक साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर चावल का आसन बनाकर भगवान गणेश और देवी महालक्ष्मी को विराजमान करें।
  • चावल की ढेरी बनाकर घी का बड़ा अखंड दीपक जलाएं।
  • चौकी के दाईं ओर जल से भरा कलश स्थापित करें।
  • कलश में सिक्का, सुपारी और हल्दी डालें।
  • इसके मुख पर आम के पत्ते लगाकर उस पर नारियल रखें।
  • उन्हें तिलक लगाएं।
  • फूल-माला अर्पित करें।
  • माता को खील-बताशे, गन्ना, मिठाई और फल आदि का भोग लगाएं।
  • वैदिक मंत्रों का जप करें।
  • सबसे पहले भगवान गणेश की और फिर माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद, घर के सभी कोनों, दरवाजे, खिड़कियों और आंगन में दीपक प्रज्वलित करें।


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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