सुन्नगढ़ी क्षेत्र के खेतों में भरा गंगा का पानी। जागरण
जागरण टीम, कासगंज। गंगा का जलस्तर अब सामान्य हो चुका है, लेकिन सुन्नगढ़ी क्षेत्र में गंगा का कटान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। नदी की धारा खेतों को तेजी से काटते हुए भीतर समेट रही है। अब तक सैकड़ों बीघा उपजाऊ भूमि गंगा की लहरों में समा चुकी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इससे खेतों में खड़ी धान, बाजरा जैसी खरीफ की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। कई किसानों की पूरी-पूरी खेती उजड़ गई है, जिससे उनका साल भर का सहारा छिन गया है।
लगातार बढ़ रहा है कटान का दायरा, किसान परेशान
ग्रामीणों के अनुसार पहले बाढ़ ने जीवन अस्त-व्यस्त किया और अब कटान ने रोजी-रोटी छीन ली। खेतों से ही परिवार का गुजारा होता था, लेकिन अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। दर्जनों परिवार ऐसे हैं जिनके पास बुवाई के लिए जमीन तक नहीं बची। पशुओं के चारे की भी भारी समस्या खड़ी हो गई है। किसान कहते हैं कि अब उन्हें रोज़गार के लिए मजदूरी करने या पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा।
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समय रहते नहीं किया काम
क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि सिंचाई विभाग और प्रशासन ने कटान रोकने के लिए समय रहते कोई ठोस इंतजाम नहीं किया। हालांकि पहले से बनाए गए स्टड बांध और सुरक्षा कार्य इस तबाही को टाल नहीं सके। वर्तमान में गंगा की धारा धीरे धीरे गांवों की ओर खिसक रही है, जिससे उन पर खतरा मंडराने लगा है हालांकि सिंचाई विभाग के अनुसार कटान गांव से बहुत दूर है।
सैकड़ों बीघा खेती कटान में
गांव के किसान राजवीर ने बताया कि उनकी कई बीघा जमीन पूरी तरह गंगा में चली गई। इसी तरह शमशेर सहित दर्जनों किसानों की सैकड़ों बीघा खेती कटान की भेंट चढ़ गई। जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
ग्रामीण सरकार से मुआवजा और वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की है जिससे खेत और घर तक नदी में समा जाएंगे। कटान की रफ्तार ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे किसान उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द राहत व सिंचाई विभाग की ठोस पहल की जाएगी।
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