कमीशन के लिए का खेल, आयकर विभाग ने जांच में किया खुलासा।
राज्य ब्यूरो, रांची। आयकर विभाग ने जांच एजेंसियों के माध्यम से जब्त नकदी राशि की वापसी के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिए जाने के मामले का खुलासा किया है।
यह मामला भी उजागर हुआ है कि कुछ गिरोह कमीशन के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं, जब्त रुपयों को छुड़ाते हैं और अपना कमीशन काटकर असली मालिक को शेष राशि दे देते हैं।
ऐसा काले धन की जब्ती के मामले में होता है। आयकर विभाग ने गिरिडीह में जब्त 4.01 करोड़ रुपये के मामले में छानबीन के दौरान इसका खुलासा किया है।
इस राशि पर मेसर्स मेकटेक ने दावा किया था। यह कंपनी गुजरात के नीना शाह की थी, जिनके अधिकृत प्रतिनिधि कमलेश रजनीकांत शाह ने दावा किया था कि वे सब्जी कारोबारी हैं ।
उनका टर्नओवर 1000 करोड़ का है। उक्त जब्त राशि उनकी ही है। इससे संबंधित उन्होंने दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किया था।
जब आयकर विभाग ने उक्त दस्तावेज की जांच की और पूछताछ की तो किसान से बाजार तक सब्जी पहुंचाने में परिवहन का कोई साक्ष्य सामने नहीं आया।
बाद में आरोपित ने यह स्वीकार किया कि उसने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया था। नकदी लेन-देन में जीएसटी का झंझट नहीं होता है।bhopal-general,Elvish Yadav Ambikapur,Hindu group protests,Garba event controversy,Hotel Purple Orchid,Navratri Garba Dandiya,Ambikapur event cancellation,Hindu organization opposition,Elvish Yadav return,Social media celebrity protest,Obscenity allegations,Madhya Pradesh news
इसी उद्देश्य से उसने सब्जी कारोबार का फर्जी दस्तावेज तैयार किया था। ऐसा उसने कमीशन के लिए किया था। रुपये किसी और के थे, उसे छुड़ाने के लिए उसने यह साजिश रची थी।
21 जून 2023 को हुई थी 4.01 करोड़ नकदी की जब्ती
गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र में मयूर सिंह नामक कार के चालक ने पांच करोड़ रुपये लूट की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
उसने दावा किया था कि वह पटना के क्रेटा कार से डीवाई कंपनी से कुछ लोगों के साथ उक्त राशि लेकर कोलकाता स्थित कंपनी के कार्यालय में ले जा रहा था।
दूसरी कार ने जमुआ क्षेत्र में ओवरटेक कर कार छीन ली थी और रुपये लूटने के बाद कुछ दूरी पर कार छोड़ दी थी। जमुआ पुलिस ने जांच के दौरान 4.01 करोड़ रुपये बरामद कर लिया था।
पुलिस ने डीवाई कंपनी का पता लगाया, लेकिन उसकी काेई जानकारी नहीं मिली। फिर इसकी सूचना आयकर विभाग को दी।
जब मामला गिरिडीह कोर्ट पहुंचा तो वहां मेसर्स मेकटेक ने रुपये पर अपनी दावेदारी करते हुए इसकी वापसी का दावा किया था। इसके बाद ही छानबीन में उक्त कंपनी के फर्जी होने व रुपये की हकीकत की जानकारी सामने आई थी।
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