Shardiya Navratri 2025 Day 5: स्कंदमाता का स्वरूप।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shardiya Navratri 2025 Day 5: आज शारदीय नवरात्र का का पांचवां दिन है। यह दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को ममता, शक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं, इसलिए इन्हें यह नाम मिला। इनकी पूजा से संतान सुख और ज्ञान की प्राप्ति होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। देवी की गोद में भगवान स्कंद बैठे हुए हैं। उनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है, और वह सिंह पर विराजमान हैं। स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर कलश और देवी की प्रतिमा स्थापित करें।
- हाथ में फूल और अक्षत लेकर व्रत या पूजा का संकल्प लें।
- मां स्कंदमाता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- मां को हरी चुनरी, रोली, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, गंध और सोलह शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- मां स्कंदमाता को पीले रंग के फूल विशेष रूप से कमल का फूल अति प्रिय है, इसलिए उन्हें कमल का फूल या अन्य पीले फूल चढ़ाएं।
- मां को केला, घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- मां के मंत्रों का जाप करें और फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अंत में मां स्कंदमाता की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।
स्कंदमाता के भोग
स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। इसके अलावा, भक्त उन्हें खीर, मिठाई, या मौसमी फल का भोग लगा सकते हैं। भोग लगाने के बाद इसे बच्चों में बांटना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि मां स्कंदमाता मातृत्व की प्रतीक हैं।
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स्कंदमाता पूजा मंत्र
- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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