Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र कथा का पाठ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति दिलाने में मदद करता है, जो साधक इस दिन श्रद्धापूर्वक मां कूष्मांडा की पूजा और व्रत कथा का पाठ करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप?
नवदुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा के नाम का मतलब अपनी मंद-मंद मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली देवी। ऐसा कहा जाता है कि देवी कूष्मांडा ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, माता आदिशक्ति हैं।
मां कूष्मांडा कथा (Maa Kushmanda Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल घना अंधकार व्याप्त था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी मुस्कान से ही समस्त ब्रह्मांड में प्रकाश फैला और जीवन का आरंभ हुआ। माता कूष्मांडा ही सूर्य मंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। पूरे ब्रह्मांड में केवल उन्हीं में इतनी क्षमता और शक्ति है कि वे सूर्य के केंद्र में रहकर वहां निवास कर सकें। इन्हीं की शक्ति से सूर्य को तेज और दिशा मिलती है, और उनकी प्रभा ही सूर्य की किरणों के माध्यम से संपूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा और जीवन देती है।
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एक अन्य कथा के अनुसार, जतुकासुर के वध के बाद, असुर राज सुकेश के पुत्र माली और सुमाली ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। उनकी तपस्या से उत्पन्न तीव्र ऊर्जा से पृथ्वी असामान्य रूप से चमकने लगी।
इस तेज को नियंत्रित करने के लिए सूर्यदेव ने मां कूष्मांडा से विनती की कि वे सदा उनके सूर्यासन पर विराजमान रहें और अपनी शक्ति से सूर्य को तेजस्वी बनाए रखें। इसलिए मां कूष्मांडा को सूर्य की शक्ति और ब्रह्मांड की जननी माना जाता है।
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