डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1बी वीजा के लिए नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। नए नियम के तहत अब नए वीजा के लिए एख लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपए का भुगतान करना होगा। ट्रंप के इस फैसले का भारत पर क्या असर होगा, इसको लेकर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत का बड़ा बयान सामने आया है।
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अमिताभ कांत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर वार्षिक शुल्क लगाने का फैसला अमेरिका के लिए नुकसान साबित होगा। ऐसा करने से अमेरिकी इनोवेशन बाधित होगा। जबकि भारत को इससे फायदा होगा।
अमेरिका का नुकसान भारत का फायदा- अमिताभ कांत
उन्होंने कहा कि ग्लोबल टैलेंट प्रतिबंध लगाने से लैब, पेटेंट, इनोवेशन और स्टार्टअप भारतीय शहरों की ओर चले जाएंगे, जिससे अमेरिका का नुकसान भारत को फायदा होगा।
भारत में नवाचार को गति देगा ट्रंप का फैसला- अमिताभ कांत
अमिताभ कांत ने एक्स पर लिखा, "डोनाल्ड ट्रंप का 1,00,000 एच-1बी शुल्क अमेरिकी नवाचार को रोक देगा और भारत के नवाचार को गति देगा। वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाजा बंद करके, अमेरिका प्रयोगशालाओं, पेटेंटों, नवाचारों और स्टार्टअप्स की अगली लहर को बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर धकेल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत के बेहतरीन डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और इनोवेटर्स के पास विकसित भारत की दिशा में भारत के विकास और प्रगति में योगदान देने का अवसर है। अमेरिका का नुकसान भारत के लिए फायदेमंद होगा।"
एच-1बी वीजा के लिए देने होंगे 1 लाख डॉलर
बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार के घोषणा की कंपनियों को एच-1बी श्रमिक वीजा के लिए सालाना एक लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा। ट्रंप के इस फैसले का आईटी सेक्टर पर गहरा असर पड़ सकता है। ये सेक्टर भारत और चीन के कुशल श्रमिकों पर काफी हद तक निर्भर है।
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