नई दिल्ली। धान की कटाई शुरू होते ही केंद्र सरकार ने अपने सरकारी गोदामों को भरना शुरू कर दिया है। अक्टूबर के पहले 2 सप्ताह में ही सरकार ने करीब 48 लाख टन धान (Kisan Paddy Procurement) खरीदा। पिछले साल की तुलना में यह खरीद दोगुनी है। इस खरीद की कीमत ₹17,240 करोड़ है। यानी किसानों को ₹17,240 करोड़ रुपये का भुगतान धान की खरीद के बदले किया गया। अधिकारियों के अनुसार, यह मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में जल्दी कटाई के कारण हुआ है। 16 अक्टूबर तक दैनिक खरीद लगभग 5 लाख टन थी, जो अगले महीने अन्य राज्यों में खरीद बढ़ने पर काफी बढ़ सकती है। PM Kisan Yojana की 21वीं किस्त से धान खरीद का भुगतान कर दिया गया है। धान की खरीद लगातार जारी है। 
 
चावल विपणन सत्र अक्टूबर से शुरू होता है और खरीद की अवधि फसल पैटर्न के आधार पर राज्यों में अलग-अलग होती है। लेकिन, इस साल धान की जल्दी आवक के कारण, केंद्र ने पंजाब और हरियाणा में खरीद एजेंसियों को सितंबर के मध्य से खरीद शुरू करने की अनुमति दे दी है। सरकार ने इसे बार 463.49 लाख टन धान खरीद का टारगेट रखा है। यह पिछले साल 545.22 लाख टन था। अभी धान की कटाई जारी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
48 लाख टन धान के लिए किया गया ₹17,240 करोड़ का भुगतान  
 
अक्टूबर के पहले दो सप्ताह में हुई 48 लाख टन धान की खरीदारी के लिए केंद्र ने ₹17,240 करोड़ का भुगतान किया। यह किसानों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। क्योंकि जल्द खरीद का पैसा जल्द मिलने से किसान अगली फसल की तैयारी शुरू कर सकते हैं।  
धान की खेती में पंजाब का बोलबाला  
 
केंद्रीय पूल स्टॉक में चावल का सबसे बड़ा योगदान अब तक पंजाब का रहा है। 16 अक्टूबर तक 18.46 लाख टन चावल सरकार ने पंजाब से खरीदा, जो एक साल पहले के 5.44 लाख टन से तीन गुना से अधिक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा ने 54 प्रतिशत ज्यादा यानी 23.08 लाख टन धान खरीदा, जबकि एक साल पहले यह 15.03 लाख टन था। तमिलनाडु में खरीद एक साल पहले के 2.32 लाख टन से दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 5.95 लाख टन हो गई। अगर बात उत्तराखंड की करें तो अक्टूबर के पहले दो सप्ताह में यहां से केंद्र ने 79,570 टन धान की खरीदारी की। पिछले साल इसी अवधि में यह 1,759 टन थी।  
 
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