ताजमहल के गुंबद के कलश पर बंधी पाड़।
जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल के गुंबद के ऊपर लगे कलश (पिनेकल) पर बंधी पाड़ (स्केफोल्डिंग) ने टूर आपरेटरों व गाइडों को सवालों में उलझा दिया है। ताजमहल देखने आने की योजना बना रहे विदेशी पर्यटक पाड़ के हटने के बारे में सवाल कर रहे हैं। स्मारक के भ्रमण के दौरान पर्यटक भी गाइडों से संरक्षण कार्य के बारे में सवाल पूछते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा स्पष्ट जानकारी नहीं दिए जाने से वह सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एएसआई द्वारा वर्षा के पानी के रिसाव को किया जा रहा है संरक्षण
आगरा में वर्ष 2024 में 10 से 12 सितंबर तक लगातार वर्षा हुई थी। निरंतर वर्षा होने पर ताजमहल में मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में पानी टपका था। एएसआई ने लिडार (लाइट, डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक से जांच कराई थी, जिसमें ताजमहल के गुंबद और छत समेत दो जगहों से पानी का रिसाव होने का पता चला था। एएसआई ने ड्रोन कैमरे की सहायता से कलश की थर्मल इमेजिंग भी की थी। इस वर्ष जून में ताजमहल के गुंबद व छत के संरक्षण का काम शुरू कर दिया गया था।
मुख्य मकबरे के गुंबद व छत से हुआ था सितंबर, 2024 में रिसाव
गुंबद पर यमुना किनारा की तरफ से कलश की ऊंचाई तक पाड़ बांधी गई। गुंबद पर तो एक स्थान पर ही पाड़ बंधी हुई है, लेकिन कलश चारों ओर से पाड़ के पाइपों से घिरा हुआ है। एएसआई ने गुंबद के ऊपर लगे संगमरमर के पत्थरों के ज्वाइंट पर टीप कराई है। गुलदस्तों पर भी टीप कराई जा रही है, जिससे कि पानी का रिसाव नहीं हो।
टूरिज्म गिल्ड ऑफ आगरा के पूर्व अध्यक्ष राजीव सक्सेना ने बताया कि एएसआई संरक्षण कार्य के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहा है। इसके चलते पर्यटकों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि ताजमहल के गुंबद व छत पर संरक्षण का काम नवंबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद पाड़ हटा दी जाएगी। |