भाजपा के लिए कई सीटों पर हार के कारण बन सकते हैं जसुपा के सितारे।
रमण शुक्ला, पटना। जन सुराज पार्टी की ओर से पहली सूची (Jan Suraaj Party Candidates List) में दांव आजमाने उतरे कई सितारे भाजपा प्रत्याशियों की दुश्वारियां बढ़ सकते हैं। इसमें मुख्यरूप से मुजफ्फरपुर, दरभंगा, कुम्हरार, सोनपुर, प्राणपुर, आरा एवं गोपालगंज जैसी 18 सीटें सम्मिलित हैं। पिछले चुनाव परिणाम (2020) एवं उपचुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो समीकरण कुछ ऐसे बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं। कुछ सीटों पर जदयू के लिए भी परेशानी की स्थिति दिख रही है।
दरअसल, पीके (Prashant Kishor) की अगुवाई वाली जसुपा (Jan Suraaj Party) के उम्मीदवार बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के लिए नया सिरदर्द साबित हो सकते हैं। कई सीटों पर पीके की पार्टी ऐसे उम्मीदवार उतार रही है जो स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली माने जाते हैं और सीधे भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने की स्थिति में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विशेषकर उन क्षेत्रों में, जहां भाजपा ने पिछली बार छोटे अंतर से जीत दर्ज की थी, वहां जसुपा उम्मीदवारों की मौजूदगी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है। पार्टी का फोकस युवा, समाजसेवी एवं सामाजिक रूप से सक्रिय चेहरों पर है, जिससे जनता में एक विकल्प की भावना बनती दिख रही है। यही नहीं, कई नौकरशाह को मैदान में उतारने के संकेत देकर लड़ाई को जसुपा ने रोचक बनाने की पटकथा भी लिख दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही जसुपा बड़ी संख्या में सीटें न जीत पाए, लेकिन वह कई जगह भाजपा के वोट को बिगाड़ सकती है। इसका सीधा लाभ विपक्षी गठबंधन को मिलने की संभावना जताई जा रही है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे जसुपा का प्रचार अभियान तेज होगा, भाजपा प्रत्याशियों के लिए चुनौती और बढ़ सकती है।
महत्वपूर्ण यह है कि जसुपा की पहली सूची में संपूर्ण बिहार के सभी प्रमुख क्षेत्रों को समेटने का प्रयास किया है। जसुपा ने उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जहां भाजपा ने पिछली बार सीमित अंतर से जीत दर्ज की थी। इनमें मिथिलांचल, सीमांचल एवं मगध के कई विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित हैं। पार्टी के उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली, शिक्षित और सामाजिक सरोकार रखने वाले चेहरे हैं।
पीके की \“जनसंवाद यात्रा\“ एवं \“सिस्टम बदलने\“ के संदेश ने युवा मतदाताओं में गहरा असर छोड़ा है। यही वजह है कि भाजपा के कई प्रत्याशी अब जसुपा उम्मीदवारों को मुख्य मुकाबलेबाज मानकर रणनीति बना रहे हैं।
हालांकि, भाजपा का दावा है कि उसका संगठन मजबूत है। जसुपा का असर सीमित रहेगा, लेकिन जमीनी समीकरण बताते हैं कि त्रिकोणीय मुकाबले कई सीटों पर भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार तेज होगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि जसुपा भाजपा के वोट बैंक में कितनी सेंध लगा पाती है।
जैसे दरभंगा में पूर्व डीजी आरके मिश्र को उताकर नीतीश सरकार के निवर्तमान मंत्री संजय सरावगी परेशानी बढ़ा दी है। इसी तरह गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से डॉ. शशि शेखर सिन्हा को मैदान में उतारकर उपचुनाव में बमुश्किल से जीतीं पूर्व मंत्री सुबाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी के लिए दुश्वारियां बढ़ा दी है।
उल्लेखनीय है कि उप चुनाव में कुसुम कड़ी लड़ाई में मात्र 2183 मतों से जीती थीं। ऐसी ही कठिन लड़ाई में 2020 के चुनाव में प्राणपुर सीट पर पूर्व मंत्री विनोद सिंह की पत्नी निशा सिंह उलझ गईं थी। किसी तरह निशा मात्र 2972 मतों से सीट निकाल पाईं थीं। दरभंगा जिले के केवटी सीट पर मुरारी मोहन झा भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
सोनपुर से जसुपा ने यादव एवं राजपूत समुदाय की लड़ाई में कुशवाहा समाज के चंदनलाल मेहता को मैदान में उताकर विजेता एवं उप विजेता दोनों को सांसत में डाल दिया है। 2020 चुनाव में चंदनलाल ने 8667 वोट झटक कर तीसरे पायदान पर रहे थे। यहां राजद के रामानुज यादव विजेता रहे थे। जबकि भाजपा के विनय सिंह को 6686 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था।
जसुपा की पहली सूची से कहां-कहां असर?
सीट के नाम 2020 के विजेता हारे अंतर
गोपालगंज
कुसुम देवी
मोहर गुप्ता
2183
दरभंगा ग्रामीण
ललित यादव
डॉ. फराज फातमी
2141
प्राणपुर
निशा सिंह
तौकिर आलम
2972
आरा
अमरेंद्र प्रताप सिंह
कयामुद्दीन अंसारी
3002
मुजफ्फरपुर
बिजेंद्र चौधरी
सुरेश शर्मा
6326
छपरा
सीएन गुप्ता
रणधीर सिंह
6771
सोनपुर
रामानुज यादव
विनय सिंह
6686
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