संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा)। चुनावी अधिसूचना जारी होते ही आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तापमान दिन व दिन बढ़ता जा रहा है। गांव की गलियों तक घट रहे तापमान के इतर बढ़ रही सियासी तापमान का असर दिखने लगा है। आलमनगर विधानसभा सीट पर इस बार मुद्दा नहीं बल्कि दोनों गठबंधनों के बीच सियासत चर्चा के केंद्र में है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विगत तीन दशक से नरेंद्र नारायण यादव के इर्द-गिर्द घूम रही राजनीति के बीच अब कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं। प्रखर मुद्दे का अभाव आमलोगों को जरूर खटक रहा है। लोग कहते हैं सड़क तो बनी लेकिन रोजगार का रास्ता अभी भी बंद है। इसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि स्थानीय मुद्दे गौण हैं और सवाल राज्य व राष्ट्रीय स्तर के तैर रहे हैं। जो चुनावी रंग को गहरा करने की कोशिश भी है।
इधर, महागठबंधन में भी फिलहाल न तो किस दल के खाते में सीट जाएगा यह स्पष्ट हो पाया और न ही प्रत्याशी का चेहरा साफ हो पाया है। राजद, वीआईपी एवं कांग्रेस यानी हर दल आलमनगर विधानसभा क्षेत्र को अपनी सीट मान रहा है। महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के बीच भी कानाफूसी चल रही है कि ऊपर के नेता तो गठबंधन की बात करते हैं, लेकिन नीचे मलाल की आग हर तरफ जल रही है।
जन सुराज के कार्यकर्ताओं में अलग ही उत्साह है। प्रशांत किशोर की टीम द्वारा पिछले दिनों गांव-गांव का भ्रमण कर नारेबाजी के साथ घर-घर संवाद से माहौल बनाने की कोशिश की गई है। जन सुराज का दावा है कि आलमनगर की जनता इस बार बदलाव के साथ जात-पात नहीं विकास के नाम पर वोट करेगा।
यहां स्थानीय स्तर पर सभी जानते हैं की जाति का गणित यहां कोई मायने नहीं रखता है। एनडीए में लोजपा(रा) का अपना राग है। गठबंधन धर्म से परे हटकर क्षेत्र में बदलाव यात्रा भी निकाला गया।
इसके अलावा कई निर्दलीय भी इस जंग में उतरने को तैयार हैं। गांव के चौपाल से लेकर चाय की दुकानों तक चुनावी चर्चा जोर पकड़ने लगी है। आलमनगर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न प्रखंडों के मुख्य बाजार तक सियासी रंग में रंगता जा रहा है। |