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आध्यात्मिक अनुभूति के लिए आएं श्रृंगवेरपुर, त्रेता युग की स्मृतियां समेटे बना पर्यटन बना केंद्र

deltin33 Half hour(s) ago views 74

  

पर्यटन का नया ठौर बनकर उभरा है श्रृंगवेरपुर।



शरद द्विवेदी, प्रयागराज। मोक्षदायिनी मां गंगा का तट और अलौकिक घाट के साथ चहुंओर हरियाली और प्रकृति की अद्भत छटा और भजन-कीर्तन की कर्णप्रिय गूंज वाला यह मनोरम स्थल है तीर्थराज प्रयाग का श्रृंगवेरपुर धाम। त्रेता युग की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आभा की अनुभूति करनी है तो श्रृंगवेरपुर धाम जरूर आइए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जहां आपको पुरातन परंपरा और संस्कृति का दर्शन होगा। आधुनिकता की भव्यता भी नजर आएगी। वैचारिक भिन्नता से इतर सामाजिक समरसता का संदेश भी मिलेगा।

तीर्थराज प्रयाग में संगम तट से लगभग 35 किलोमीटर दूर है श्रृंगवेरपुर धाम। त्रेता युग में पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ प्रभु श्रीराम अयोध्या से वनवास के लिए निकले तो पहला पड़ाव श्रृंगवेरपुर में लिया। श्रृंगवेरपुर के निषादराज गुह्य ने उनका भव्य स्वागत किया।

रात्रि विश्राम कराने के बाद निषादराज ने उन्हें गंगा पार कराई। त्रेता युग की सदियों पुरानी स्मृतियां श्रृंगवेरपुर में जीवंत रखने को प्रदेश सरकार ने उसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है।

छह हेक्टेयर में बना निषादराज पार्क उसकी भव्यता बढ़ाता है। पार्क के मध्य में 51 फीट ऊंची कांस्य की प्रभु श्रीराम-निषादराज की गले मिलती प्रतिमा दूर से सबका ध्यान आकर्षित करती है। जो सामाजिक समरसता का संदेश देती है।

टूरिस्ट फैसेलिटी सेंटर, संध्या घाट, रामघाट, सीताकुंड घाट, ओपन एयर थियेटर, चिल्ड्रेन प्ले एरिया, ध्यान केंद्र और आध्यात्मिक गैलरी निषादराज पार्क और श्रृंगवेरपुर धाम की भव्यता बढ़ाते हैं। वहीं, निषादराज के किला का अवशेष गौरवपूर्ण अतीत की अनुभूति कराता है।

यही कारण है कि महाकुंभ-2025 में जनवरी-फरवरी माह में लगभग एक करोड़ लोगों ने श्रृंगवेरपुर का भ्रमण किया था। महाकुंभ के बाद भी श्रृंगवेरपुर में लोगों के आने का क्रम बना है। पर्यटन विभाग आने-जाने के साथ रुकने का प्रबंध कराता है।

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह के अनुसार श्रृंगवेरपुर प्रयागराज में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। जहां आध्यात्मिक ओज के साथ आधुनिकता की भव्यता लोगों को आकर्षित करती है। देश-विदेश से आने वाले लोगों को किसी प्रकार की समस्या न होने पाए पर्यटन विभाग उसके लिए हर स्तर पर सुविधा उपलब्ध कराता है।
यह भी हैं प्रमुख आकर्षण

प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर के अलावा तमाम आध्यात्मिक और पौराणिक स्थल हैं। जहां हर कोई जाना चाहता है। संगम तट के पास किला के अंदर प्राचीन अक्षयवट है। उसी के पास बड़े हनुमान जी विराजमान हैं। जहां हर कोई दर्शन-पूजन करना चाहता है। बांध पर स्थित शंकर विमान मंडपम मंदिर दक्षिण भारत की कला-संस्कृति का दर्शन कराता है।

नगर देवता भगवान वेणी माधव, मां आलोपशंकरी, मां कल्याणी, मां ललिता देवी की दूरी आपस में पांच से 10 किलोमीटर है। प्रभु श्रीराम का मार्गदर्शन करने वाले महर्षि भरद्वाज का आश्रम भी भव्य स्वरूप प्राप्त कर चुका है।

आश्रम के सामने स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र रहा ऐतिहासिक आनंद भवन है। इसी के पास अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की शहादत स्थली आजाद पार्क, विक्टोरिया टावर, इलाहाबाद संग्रहालय भी हैं, जहां पर आप भ्रमण कर सकते हैं।
प्रयागराज से प्रमुख स्थलों की दूरी

  • प्रयागराज से वाराणसी लगभग 120 किलोमीटर पर है।
  • प्रयागराज से विंध्याचल (मां विंध्यवासिनी) 90 किलोमीटर पर है।
  • प्रयागराज से चित्रकूट 130 किलोमीटर है। चित्रकूट में प्रभु श्रीराम ने कामदगिरि पर्वत पर वनवास किया था। मंदाकिनी नदी में रामघाट, हनुमान धारा, जानकी कूंड, भरत कूप, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला, सती अनसुइया आश्रम आदि हैं।
  • प्रयागराज से कौशांबी (बुद्ध विहार या कौशांबी पुरातात्विक स्थल) 55 किलोमीटर पर है।-प्रयागराज से अयोध्या की दूरी 161 किलोमीटर दूर है।
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