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बारबाडोस सम्मेलन में मंइयां सम्मान योजना की गूंज, विस स्पीकर रबींद्रनाथ ने बताया झारखंड सरकार की प्रगतिशील पहल

deltin33 8 hour(s) ago views 1097

  

विस स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने चोगम 2026: लैंगिक समानता और सुलभता के दृष्टिकोण से मानव कारक का समर्थन पर रखा भारत का पक्ष। फोटो सोशल मीडिया



राज्य ब्यूरो. जागरण, रांची। बारबाडोस में आयोजित 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) सम्मेलन में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने चोगम 2026: लैंगिक समानता और सुलभता के दृष्टिकोण से मानव कारक का समर्थन विषय पर भारत और झारखंड का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने मंइयां सम्मान योजना का उल्लेख करते हुए इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड सरकार द्वारा उठाया गया प्रगतिशील कदम करार दिया।

भारतीय संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों को रेखांकित करते हुए उन्होंने समान अवसर और वेतन की गारंटी पर जोर दिया।

महतो ने ऋग्वेद के उल्लेख के साथ कहा कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। उन्होंने झारखंड के आदिवासी समुदायों की समतावादी संस्कृति को रेखांकित किया, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित है।

अथर्ववेद में वर्णित धरती माता के प्रति सम्मान आदिवासी समाज की जीवनशैली को दर्शाता है। आदिवासी महिलाएं न केवल घरेलू भूमिकाओं तक सीमित हैं, बल्कि कृषि, वन संरक्षण, व्यापार और निर्णय लेने में सक्रिय भागीदार हैं।

ग्राम परिषदों और सांस्कृतिक आयोजनों में उनकी आवाज का सम्मान होता है, जो लैंगिक समानता की प्राचीन परंपरा को दर्शाता है।

रबीन्द्रनाथ महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार की प्रगतिशील पहल का उल्लेख किया। कहा कि मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।

लड़कियों की शिक्षा, मातृ स्वास्थ्य और स्वयं सहायता समूहों जैसी योजनाओं ने ग्रामीण और शहरी महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया है।

ये प्रयास सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), विशेष रूप से लैंगिक समानता (और आर्थिक विकास के अनुरूप हैं। सम्मेलन में सीपीए महासचिव स्टीफन ट्वीघ, ऐंटिगुआ और बरमुडा के स्पीकर, ओडिशा और गोवा विधानसभा अध्यक्ष सहित कई देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

महतो ने झारखंड की समावेशी नीतियों और आदिवासी संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
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