deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

मैदा नहीं, स्लो पॉइजन खा रहे आप, जानिए कैसे आ ...

deltin55 1970-1-1 05:00:00 views 331


नई दिल्ली। मैदा, जो आज लगभग हर फास्ट फूड और बेकरी उत्पाद का मुख्य घटक बन चुका है, धीरे-धीरे हमारी सेहत के लिए एक स्लो पॉइजन साबित हो रहा है। पिज्जा, बर्गर, ब्रेड, बिस्कुट, समोसा या कचौरी इन सबका स्वाद भले ही लुभावना हो, लेकिन इसे बनाने में उपयोग होने वाला मैदा हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक है।   
आयुर्वेद में इसे अग्नि मंद्य अर्थात पाचन शक्ति को कमजोर करने वाला तत्व माना गया है, जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसे साइलेंट किलर कहता है।  




मैदा गेहूं के दानों से ब्रान (चोकर) और जर्म (अंकुर) को अलग कर बनाया जाता है, जिससे केवल स्टार्च बचता है। इस प्रक्रिया में विटामिन, खनिज और फाइबर पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इसका रंग और बनावट निखारने के लिए इसमें ब्लीचिंग एजेंट जैसे बेंज़ोयल पेरोक्साइड और क्लोरीन गैस मिलाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक रासायनिक पदार्थ हैं।  
मैदा शरीर पर कई तरह से हानिकारक प्रभाव डालता है। सबसे पहले यह पाचन तंत्र पर भारी पड़ता है। आंतों में जाकर यह गोंद जैसी परत बना लेता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है, जिससे यह तुरंत ब्लड शुगर बढ़ाता है और डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता है।  




लगातार मैदा खाने से शरीर में वसा बढ़ती है, विशेष रूप से पेट और कमर के आसपास, जिससे मोटापा और मेटाबॉलिक विकार बढ़ते हैं। इसके साथ ही यह खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को बढ़ाकर हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देता है।  
मैदे में न तो कोई पोषक तत्व होता है, न फाइबर। यह केवल कैलोरी देता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है।  
आयुर्वेद के अनुसार मैदा गुरु और अम्लकारक होता है, जो पाचन अग्नि को मंद करता है और शरीर में आम यानी विषैले तत्व उत्पन्न करता है। यह कफ दोष को बढ़ाता है, जिससे मोटापा, मधुमेह और जोड़ों के दर्द जैसी बीमारियां बढ़ती हैं।  




आधुनिक शोध भी इस दृष्टिकोण की पुष्टि करते हैं। 2010 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग प्रतिदिन रिफाइंड आटे से बने खाद्य पदार्थ खाते थे, उनमें हृदय रोग का खतरा 30% अधिक था। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के अत्यधिक सेवन से बचने की सलाह दी है।  
मैदा की जगह साबुत गेहूं का आटा, मल्टीग्रेन आटा, जौ, जई, बेसन, और मक्के का आटा जैसे विकल्प अपनाना अधिक लाभदायक है, क्योंकि ये फाइबर, प्रोटीन और खनिजों से भरपूर होते हैं।






Deshbandhu



Healthy Lifedelhi newsHealth Department









Next Story
like (0)
deltin55administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin55

He hasn't introduced himself yet.

5586

Threads

12

Posts

110K

Credits

administrator

Credits
17006