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UP News: चौबीस घंटे में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने को स्थानांतरित करनी होगी विवेचना, डीजीपी ने दिए निर्देश

LHC0088 2025-10-9 10:36:08 views 1247

  



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मानव तस्करी के मामलों की जांच में तेजी व गुणवत्ता लाने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (एटीएस) थाने के पुलिसकर्मियों को कानून-व्यवस्था की ड्यूटी से दूर रखा जाएगा। डीजीपी राजीव कृष्ण ने मानव तस्करी की सूचना पर किसी भी थाने में तत्काल मुकदमा पंजीकृत कर उसे 24 घंटे के भीतर एटीएच थाने में स्थानांतरित किए जाने का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने मानव तस्करी व बच्चों की गुमशुदगी के मामलों में कार्रवाई के लिए विस्तृत निर्देश दिए हैं। कहा है कि मासिक अपराध गोष्ठी में एएचटी थाने में दर्ज मामलों की भी नियमित समीक्षा होगी।

प्रदेश में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट गठित कर हर जिले में एटीएच थाने की स्थापना की गई है। डीजीपी ने कहा कि एएचटी थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को कानून-व्यवस्था व अन्य सुरक्षा ड्यूटी में लगा दिया जाता है, जिससे उनकी विवेचनाएं व अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।

एएचटी थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को यथासंभव अन्य कार्यों में न लगाया जाए। इन थानों के संसाधनों का प्रयोग भी दूसरे कार्याें में न किया जाए। एएचटी थाने पर आने वाले मानव तस्करी के मामले में बिना विलंब एफआइआर दर्ज कर विवेचनात्मक कार्यवाही, सर्च व रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया जाए।

स्थानीय थानों में पंजीकृत होने वाली गुमशुदगी या अन्य प्रकरणों, जिनमें विवेचना के दौरान मानव तस्करी से जुड़ा कोई साक्ष्य मिले तो उसे एएचटी थाने को स्थानांतरित किया जाए। ऐसे मामले जिला प्रभारी के आदेश से स्थानांतरित किए जाएंगे।

डीजीपी ने कहा है कि लापता नाबालिग के मामलों में किशोर न्याय अधिनियम के आदर्श नियम का पालन किया जाए। लापता बालक/बालिका के चार माह तक बरामद न होने की दशा में ऐसे प्रकरण को एएचटी थाने में स्थानांतरित किया जाए।

एएचटी थाना ऐसे मामलों की विवेचना प्रभावी रूप से करते हुए उसकी प्रगति की सूचना हर तीन माह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को देगा।

मानव तस्करी से जुड़े मुकदमों की विवेचना एएचटी थाना प्रभारी तत्काल शुरू करेंगे और थाने की प्रशिक्षित टीम स्थानीय पुलिस के सहयोग से तलाश/बरामदगी की लिए आपरेशन चलाएगी, जिससे साक्ष्य नष्ट न हो सकें।

मानव तस्करी से पीड़ित व्यक्तियों के समुचित पुनर्वास, चिकित्सा उपचार, काउंसलिंग, मुफ्त विधिक सहायता, आश्रय व क्षतिपूर्ति संबंधित विभागों के सहयोग से उपलब्ध करायी जाएगी।
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