कागजों में सिमटा Aravalli ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट, हरियाली बढ़ने के इंतजार में 50 पौधे भी सूखे

LHC0088 2025-12-21 17:08:36 views 186
  

गांव टीकली में पौधे लगाकर अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव। जागरण आर्काइव



आदित्य राज, गुरुग्राम। राजस्थान के मरुस्थल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र सरकार का अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट (Aravalli Green Wall Project) कागजों में ही हरियाली बढ़ा रहा है। 50 पौधे लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत अरावली पहाड़ी की गोद में बसे गांव टीकली से की गई थी। उनमें से अब बचे दो पौधे भी दम तोड़ने की कगार पर हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पौधे लगाने के बाद न ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का कोई अधिकारी या कर्मचारी सुध लेने पहुंचा और न ही स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों ने ध्यान दिया। धीरे-धीरे करके सभी पौधे सूख गए। ट्री गार्ड भी गायब हो गए। इस पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में पौधारोपण किया था। इसके बाद प्रोजेक्ट के परवान चढ़ने की उम्मीद जगी थी लेकिन उसके बाद भी दो कदम प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा।

  

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत गांव टीकली में इसी जगह लगाए गए थे पौधे। जागरण

दबी जुबान से वन अधिकारियों का कहना है कि बिना बजट के कैसे प्रोजेक्ट पर काम होगा। एक समर्पित बजट तैयार करना होगा, तभी हरियाली की दीवार बनाने का सपना साकार होगा। प्रदेश सरकारों के पास पौधारोपण को लेकर जितना बजट है, उससे बात नहीं बनेगी। पिछले कुछ सालों से दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में धूल भरी आंधी काफी चलने लगी है।

इसके पीछे मुख्य कारण अरावली पहाड़ी क्षेत्र में दिन प्रतिदिन आ रही हरियाली में कमी बताई जा रही है। शहरीकरण की आंधी से अरावली को भारी नुकसान हुआ है। हजारों एकड़ भूमि पर गैर वानिकी कार्य हो रखे हैं। साइबर सिटी के ही अंतर्गत आने वॉली अरावली पहाड़ी क्षेत्र में दो हजार से अधिक फार्म हाउस बने हुए हैं।

कनेक्टविटी बढ़ाने के लिए अरावली पहाड़ी क्षेत्र से होकर काफी सड़कें बनानी पड़ीं। इसका नतीजा यह है कि राजस्थान से चलने वॉली धूल भरी आंधी को रोक पाने में अरावली सक्षम नहीं है। इसे देखते हुए लगभग पांच साल पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली से गुजरात तक 1400 किलोमीटर लंबा अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का कंसेप्ट तैयार किया।

इसके बाद 25 मार्च 2023 को अरावली की गोद में बसे गुरुग्राम जिले के गांव टीकली में लगभग 50 पौधे लगाकर प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया गया। शुभारंभ स्वयं केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही हरियाणा के तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री की मौजूदगी में किया था।

आगे पौधे लगाने की बात दूर, लगाए गए पौधे भी जीवित नहीं रहे। पानी न मिलने से सभी धीरे-धीरे सूख गए। प्रोजेक्ट के शुभारंभ के दौरान कहा गया था कि जल्द ही आगे कैसे काम करना है, क्या-क्या काम होने हैं आदि विषयों का प्रारूप तैयार किया जाएगा। ढाई साल बाद भी न प्रोजेक्ट को लेकर अलग से बजट तैयार किया गया और न ही क्या-क्या कार्य हाेने हैं उसका प्रारूप तैयार किया गया। बताया जाता है कि सभी राज्यों से कहा गया है कि वे हरियाली बढ़ाने से संबंधित अपने विभिन्न स्कीमों के तहत पौधारोपण करने के साथ ही जलाशयों को ठीक करने काम करें।
क्या है अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट?

अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2030 तक दिल्ली से लेकर गुजरात तक 1400 किलोमीटर लंबी हरियाली की दीवार बनाई जानी है यानी पौधे इस तरह से लगाए जाने हैं कि हरियाली की दीवार दिखाई दे। इससे जहां राजस्थान से आने वॉली धूल भरी आंधी का प्रभाव दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में कम होगा। वहीं प्रदूषण का स्तर भी कम होगा।

प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में आठ लाख हेक्टेयर भूमि पर पौधे लगाए जाने हैं। वर्ष 2030 तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात के 64.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हरित पट्टी बनाने की योजना है। प्रोजेक्ट के तिहत अरावली पहाड़ी क्षेत्र के दायरे में आने वॉले क्षेत्र में जितने भी तालाब हैं, उन सभी का जीर्णोद्धार किया जाना है।

तालाबों के जीर्णोद्घार से जहां आसपास हरियाली बढ़ेगी वहीं भूजल स्तर ऊंचा होगा। प्रोजेक्ट के तहत 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का भी लक्ष्य है। अनुमान है कि प्रोजेक्ट पर काम होने से 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइाक्साइड के बराबर अतिरिक्त अवशोषण क्षमता का विकास होगा।
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