यहां पढ़ें खरमास से जुड़े जरुरी नियम।
दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, या किसी नए कार्य का आरंभ इसलिए वर्जित रखा जाता है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय ऊर्जा-चक्र स्थिर रहते हैं। इसे देवताओं के विश्राम का समय भी कहा जाता है। ज्योतिष भी बताता है कि ग्रहों की शुभ स्थिति सक्रिय नहीं होती, जिससे मांगलिक कार्यों का फल कम हो जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूर्य देव की गति का पड़ता है प्रभाव
खरमास की शुरुआत तब होती है जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और यह स्थिति खगोलीय दृष्टि से अत्यंत विशेष मानी गई है। धनु संक्रांति के समय सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ने लगती है, जिसे एक संक्रमण काल माना जाता है।
इस अवधि में सूर्य की ऊर्जा सामान्य से धीमी मानी जाती है, इसलिए धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में इसे अशुभ कार्यों के लिए अनुपयुक्त बताया गया है। सूर्य जब अपनी पूर्ण तेजस्विता में नहीं होते, तब ग्रहों का शुभ प्रभाव भी स्थिर हो जाता है। इसी कारण शास्त्र इस समय सभी मांगलिक और नए आरम्भों को रोकने की सलाह देते हैं।
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क्यों नहीं बनते शुभ योग?
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार किसी भी मांगलिक कार्य की सफलता ग्रहों, नक्षत्रों और ऊर्जा-चक्रों की अनुकूलता पर निर्भर करती है। खरमास के दौरान सूर्य देव की स्थिति कमजोर मानी जाती है, जिससे शुभ योगों का निर्माण नहीं हो पाता।
इस समय ग्रहों की शुभ दृष्टि प्रभावी नहीं रहती और ग्रह दशा में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे नए कार्यों के फल कम हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र बताता है कि जब ग्रह ऊर्जा स्थिर या मंद अवस्था में होती है, तब आरम्भ किए गए शुभ कार्य अपेक्षित परिणाम नहीं देते। इसलिए इस अवधि में सभी मांगलिक कार्य स्थगित रखने की सलाह दी गई है।
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खरमास में क्या करना चाहिए?
- खरमास की अवधि में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शरीर, मन और ऊर्जा-चक्रों को शुद्ध करता है।
- सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करने से सकारात्मक ऊर्जा और जीवन-शक्ति बढ़ती है।
- तिल, गुड़, अन्न और वस्त्र का दान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, क्योंकि यह करुणा, पवित्रता और सेवा का प्रतीक है।
- मंत्र-जप और ध्यान साधक के मन में स्थिरता, शांत भाव और आध्यात्मिक गहराई लाते हैं।
- इस समय जरूरतमंदों की सेवा को विशेष रूप से कल्याणकारी बताया गया है।
- कुल मिलाकर, खरमास आत्मचिंतन, संयम और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें। |