युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज कार्तिक शर्मा
जागरण संवाददाता, आगरा। युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज कार्तिक शर्मा की जिंदगी संघर्षों से भरी रही है। महज ढाई साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू करने वाले कार्तिक को चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने आइपीएल 2026 नीलामी में रिकार्ड 14.20 करोड़ रुपये में खरीदा। यह राशि अनकैप्ड खिलाड़ियों के लिए अब तक की सबसे ऊंची बोली है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कार्तिक के पिता मनोज शर्मा खुद तेज गेंदबाज रह चुके हैं। पिता का करियर 28 साल की उम्र में मैच के दौरान चोट लगने से करियर खत्म हो गया। तब उन्होंने ठान लिया कि बेटे को बड़ा क्रिकेटर बनाएंगे।इसके लिए मां और पिता ने गहने तक बेच दिया। बाबा के पेंशन से घर चलता था।
28 वर्ष की उम्र में पिता ने घायल होते ही तय किया था कि बेटे को क्रिकेटर बना सपना पूरा करूंगा
पूर्व प्राइवेट शिक्षक मनोज शर्मा समेत परिवार के हर सदस्य ने कार्तिक की क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए हर त्याग किया। पहले भरतपुर के बेनरा गांव में स्कूल और कोचिंग पढ़ा कर पिता ने 200 गज का प्लाट खरीदा, उसे बेचकर गेंद फेंकने वाली मशीन और नेट खरीदे। किराए के प्लाट पर ढ़ाई वर्ष की आयु से प्रैक्टिस शुरू की, लेकिन कुछ लोग जलन में मशीन ले गए और नेट जला दिया। इसके बाद कार्तिक को एसआर क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाया गया।
पिता ने सोने की चेन और दो सौ गज का प्लाट बेच खरीदी गेंद फेंकने वाली मशीन और नेट
कुछ महीने प्रैक्टिस के बाद संचालक शत्रुघ्न तिवारी ने सलाह दी कि बच्चे को हाई लेवल अकादमी में ले जाओ। फिर आगरा की गोयनका चाहर क्रिकेट अकादमी में लोकेंद्र सिंह चाहर के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग शुरू हुई। कार्तिक तब सिर्फ पांच साल के थे। प्रशिक्षण के दौरान नेट जलने की घटना ने परिवार को तोड़ दिया था, लेकिन पिता का हौसला नहीं डगमगाया। पिता ने तब ठान लिया था बर्बाद हो जाऊंगा तो गम नहीं, लेकिन बेटे को क्रिकेटर बनाऊंगा जरूर।
अंडर-14 टीम में चयन के बाद अच्छी किट के लिए मां राधा शर्मा ने अपने गहने बेच दिए
परिवार की आर्थिक तंगी ऐसी थी कि अंडर-14 टीम में चयन के बाद अच्छी किट के लिए मां राधा शर्मा ने अपने गहने बेच दिए। चूड़ियां, हार, कुंडल और अंगूठी बेचकर एक लाख रुपये से ज्यादा की किट खरीदी जाती थी। पैसे अधिक नहीं थे ताे जब किट की जरूरत होती तो गहने ही बेचने पड़ते थे। मां राधा हाउसवाइफ हैं।
पिता मनोज ने बताया राजस्थान के भरतपुर से होने के कारण सभी दस्तावेज वहीं के हैं। छोटे भाई महेश ने खेल सामग्री की दुकान खोली और घर बनाया, अब पूरा परिवार उनके बोदला में रहता है। कार्तिक की मेहनत रंग लाई। पिता मनोज कहते हैं, मेहनत सफल हो गई। कार्तिक अब धोनी की टीम में जगह बनाकर बड़ा नाम कमाने को तैयार हैं।
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कार्तिक के बाबा रेलवे से सेवानिवृत्त हैं
पिता मनोज ने बताया कार्तिक के बाबा रेलवे से सेवानिवृत्त हैं। तो घर में शिक्षण कार्य बेटे का क्रिकेटर बनाने के लिए छोड़ दिया था। ऐसे में घर का खर्च केवल बाबा की पेंशन से ही चलता था। जब बात किट खरीदने की आती थी तो घर से गहने बेचने पड़ते थे। धीरे-धीरे कर के मां राधा के साथ पिता मनोज को शादी में मिली चेन भी बेचने पड़ी। |