प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा से जुड़े एक हत्या मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप सिद्ध करने के लिए पर्याप्त सुबूत पेश नहीं किए। इस आधार पर, अदालत ने चारों आरोपितों बृजमोहन शर्मा, सनी, पंकज शुक्ला और रोहित शुक्ला को बरी कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मृतक की मां ने किया यह दावा...
सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि मुख्य गवाह (मृतक की मां) की गवाही में गंभीर विसंगतियां हैं, जो उसके बयान की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं। मृतक की मां ने अपनी गवाही में अदालत में बताया कि 26 फरवरी 2020 को शाम साढ़े सात बजे उनका बेटा इरफान दूध लेने जा रहा था और वो भी उसके साथ थी कि तभी उनके बेटे पर हमला कर उसकी हत्या कर दी गई।
अदालत को दावे पर हुआ संदेह
हालांकि, अदालत ने इस दावे पर संदेह जताया क्योंकि उस दिन इलाके में दंगे चल रहे थे और इरफान अपने घर के पास दूध का व्यवसाय संचालित करने वालों से भी दूध ले सकता था। अदालत ने कहा कि ऐसे हालात में घर छोड़कर बाहर निकलना असंभव और अविश्वसनीय प्रतीत होता है।
बयान में मिलीं तमाम खामियां
अदालत ने नोट किया कि गवाह के बयान में हमलावरों की संख्या, नाम, इस्तेमाल किए गए हथियार और हमला क्यों हुआ, इस पर लगातार अंतर रहा। मृतक की मां ने पहले बयान में कहा कि हमलावर पहले से मौजूद थे, बाद में बयान में कहा कि हमलावर अचानक बाहर आए। उन्होंने कुछ हथियारों का जिक्र किया, जो पहले के बयान में नहीं था।
इसके अलावा, हमलावरों के नामों में भी बदलाव आया। पहले बयान में चौथे हमलावर को सब्जी वाला बताया गया, जबकि बाद में उन्होंने उसका नाम रोहित शुक्ला बताया। अदालत ने कहा कि ऐसे जानबूझकर बदलाव और विसंगतियां गवाह की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं।
अदालत को क्यों हुआ शक?
अदालत ने कहा कि मृतक की मां ने घटना के दिन अपने बेटे के साथ बाहर जाने का कारण दूध लेने और अपने घुटने की दवा लेने के लिए बताया, जबकि घर में उनके भाई और भतीजा दूध का व्यवसाय करते थे। ऐसे में यह कारण भी अदालत को विश्वासजनक नहीं लगा।
न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि मृतक की मां की गवाही अकेले पर आरोपितों को दोषी ठहराना सही नहीं है।
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