एसआईआर का काम करते नाबालिग बच्चे।
स्वाति भाटिया, नोएडा। एसआईआर पूरा करने के अंतिम दिनों में प्रशासनिक अमले ने मतदाताओं के शत-प्रतिशत फार्म भरवाने में पूरी ताकत झोंक दी है। बीएलओ और बीएलए के अलावा तमाम विभागों को एसआइआर के काम में शामिल करने के बावजूद नाबालिगों से भी जी-तोड़ मेहनत कराइ जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंगलवार को भी ऐसी ही एक चौकाने वाली तस्वीर सेक्टर 19 स्थित प्रशासनिक अधिकारी के कार्यालय में देखने को मिली, यहां करीब आठ नाबालिग छात्र आनलाइन और आफलाइन फार्म भर रहे थे। एक और कहीं बीएलओ मतदाताओं की तलाश में पसीना बहाते दिखे, तो कहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया गया।
पर सबसे हैरान करने वाला खुलासा यह कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में नाबालिग स्कूली बच्चों से फार्म मिलान और डाटा एंट्री जैसे अहम काम कराए जा रहे हैं। मतदाता सूची जैसे गंभीर कार्य में यह लापरवाही सवाल खड़ा करती है—गड़बड़ी हुई तो आखिर जवाबदेही किसकी होगी?
एसआईआर की प्रक्रिया पूरी करने के दबाव में बूथ लेवल आफिसर घर-घर जाकर गणना पत्र एकत्रित कर रहे हैं और फिर इन्हें सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में जमा कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि वहीं बैठे आठ नाबालिग छात्र इन फार्म को ऑनलाइन अपलोड कर रहे हैं, फार्म का मिलान कर रहे हैं और यहां तक कि डाटा एंट्री तक का कार्य भी कर रहे हैं। अधिकतर बच्चे मोबाइल फोन के माध्यम से यह काम करते दिखाई दिए, जिनके लिए कार्यालय में सरकारी वाईफाई उपलब्ध कराया गया है।
बच्चों से बातचीत में सामने आया कि वे निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर नए मतदाता, हटाए गए नाम और संशोधित फार्म अपलोड कर रहे हैं। इनमें कक्षा आठ, नौ और 12वीं तक के छात्र शामिल हैं। पूछताछ में पता चला कि ये सभी सेक्टर-10 के आसपास के गांवों से आते हैं और सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। बच्चों ने बताया कि चार दिनों से लगातार काम कर रहे हैं और यह कार्य वे अपनी मां के कहने पर कर रहे हैं, जो स्वयं आंगनबाड़ी में तैनात हैं और चुनावी जिम्मेदारियों में लगी हुई हैं।
नौवी के मयंक ने बताया कि वो एक सरकारी स्कूल में हैं, मां आंगनबाडी मेंं हैं। मां ने कहा काम करने से आर्थिक मदद मिलेगी। आठवीं के बलराम ने बताया कि मां ने मुझे यहां भेजा है कि काम करने पर पैसे मिलेंगे चार दिनों से फार्म अपलोड, डाटा भरने और फार्म का मिलान कर रहा हूं। मनीष ने बताया कि वो चार दिनों से सिटी मजिस्टे्रट कार्यालय आ रहे हैं, शाम तक काम करते है।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जिन बच्चों को खुद मतदान करने की उम्र भी नहीं मिली, वे कैसे किसी नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करने जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में भागीदार बन सकते हैं। यदि किसी फार्म में गलती होती है, तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी—यह प्रश्न प्रशासन के सामने खड़ा है।
प्रशासन ने किसी भी नाबालिग को एसआईआर के कार्य में नहीं लगाया है। संभव है, कुछ आंगनबाड़ी कर्मचारी तकनीकी दिक्कत के कारण अपने बच्चों से मोबाइल संचालन में मदद ले रहे हों। - अनुज नेहरा, एसडीएम दादरी |