नई दिल्ली। इंटरनेट ने हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। अब आप आराम से घर बैठे अलग-अलग कंपनियों की पॉलिसियों की तुलना कर सकते हैं। ऑनलाइन खरीद ने इंश्योरेंस को बेहद एक्सेसिबल और पारदर्शी बना दिया है। ऑनलाइन में प्लान की तुलना करना बिल्कुल बिना दबाव वाला होता है। सब कुछ पेपरलेस, तेज और एक ही डैशबोर्ड पर ट्रैक किया जा सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन इसमें एक चुनौती भी है कि ऑनलाइन मॉडल में सुझाव कम मिलता है। एजेंट न होने पर कई खरीदार महत्वपूर्ण बातें जैसे क्या बताना जरूरी है, वेटिंग पीरियड, या सब-लिमिट ठीक से समझ नहीं पाते है। ऐसे में किन बातों का ध्यान रखें यहां हम आपको बता रहे हैं।
ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदते समय क्या होती हैं गलतियां
लोग अक्सर केवल प्रीमियम पर ध्यान देते हैं, जबकि रूम रेंट, को-पे और वेटिंग पीरियड जैसी अहम बातें नजरअंदाज कर देते हैं। बहुत से ग्राहक सिर्फ सस्ते प्रीमियम के चक्कर में पॉलिसी ले लेते हैं, जबकि कवरेज उनकी जरूरतों के हिसाब से नहीं होता। कई लोग इसे सिर्फ टैक्स-बचत का साधन समझते हैं, न कि सुरक्षा का औजार।
कम प्रीमियम वाले प्लान में अक्सर कड़े रूम रेंट कैप, सब-लिमिट और को-पे होते हैं, जो दावा करते समय सामने आते हैं। लोग ऐड-ऑन कवर भी नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में काम आ सकते थे।
नलाइन इंश्योरेंस खरीदते समय की सबसे बड़ी गलती क्या होती है?
प्रपोजल फॉर्म में सही जानकारी न देना। नायडू याद दिलाते हैं कि कोई भी पुराना टेस्ट, दवा, बीमारी या सर्जरी छिपानी नहीं चाहिए। अधिकतर क्लेम रिजेक्शन गलत जानकारी की वजह से होते हैं।
किन बातों पर सबसे ज्यादा सावधानी जरूरी?
रूम रेंट
अपनी पॉलिसी में तय रूम कैटेगरी से ऊपर का कमरा लेने पर पूरे बिल पर कटौती हो सकती है।
कैशलैस
अस्पताल जाने से पहले देखें कि वह नेटवर्क में है या नहीं।
टॉप-अप प्लान
इसका फायदा तभी मिलता है जब डिडक्टिबल सही तरह बेस पॉलिसी से मेल खाए।
प्री-ऑथराइजेशन
प्लान्ड सर्जरी के 3–5 दिन पहले प्रक्रिया शुरू कर दें।
OPD खर्च
ज़्यादातर पॉलिसियां अलग से OPD कवर नहीं देतीं, इसलिए जरूरत हो तो OPD ऐड-ऑन लें।
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