पुलिस के बाद अब पाकिस्तान में शिक्षकों का हल्ला बोल। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में कई जगहों पर छात्रों और शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों और छात्रों ने कम नामांकन वाले कॉलेजों को आउटसोर्स करने के फैसले और शिक्षकों की पदोन्नति के लिए एमफिल डिग्री और शोध कार्य अनिवार्य करने के प्रस्ताव के खिलाफ हल्ला बोला है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के आउटसोर्स के फैसले का विरोध करने के लिए जहां छात्र सड़कों पर जमा हो गए। तो वहीं, शिक्षकों ने अपनी कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया।
फैसला वापस लेने के लिए सड़कों पर उतरे छात्र और शिक्षक
बता दें कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों और शिक्षकों ने सरकार से कम नामांकन वाले कॉलेजों, खासकर प्रांत के दूरदराज के इलाकों में स्थित कॉलेजों को आउटसोर्स करने के अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया।
जानिए क्या है सरकार का प्लान
बताया जा रहा है कि सरकार इन कम नामांकन वाले कॉलेजों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र को आउटसोर्स करने की योजना बना रही है।
प्रांतीय सरकार इन आउटसोर्स कॉलेजों में छात्रों की ट्यूशन फीस का वहन करेगी। निजी साझेदारी स्टाफिंग और प्रशासनिक कार्यों को संभालेंगे।
शिक्षकों ने इस बात भी किया विरोध
समाचार एजेंसी एएनआई ने डॉन की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि शिक्षकों ने सेवा नियमों में प्रस्तावित बदलाव का भी विरोध किया है, जिसके तहत पदोन्नति के लिए एमफिल की डिग्री और अपने क्षेत्र में शोध पत्र प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के पेशावर में सरकारी सुपीरियर साइंस कॉलेज के छात्रों ने दीर कॉलोनी के पास एक व्यस्त रिंग रोड को अवरुद्ध कर दिया, साथ ही प्रांतीय के खिलाफ नारेबाजी की। (समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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