सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूल शिक्षा में प्रमुख सुधारों पर काम किया जा रहा है। इसमें तीन वर्ष की प्री-प्राइमरी शिक्षा, कक्षा पांच तक मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पढ़ाई को लागू करने के लिए पूरा सहयोग दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह नई पाठ्यक्रम संरचना में शामिल हो चुका है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संसद में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रश्न पर सरकार की ओर से बताया कि निपुण भारत मिशन के माध्यम से कक्षा दो तक के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक दक्षता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्र की ओर से क्षेत्र को प्री-स्कूल शिक्षा, शिक्षण-अधिगम सामग्री, शिक्षक प्रशिक्षण, कक्षा आकलन और जिला स्तर पर प्रोजेक्ट प्रबंधन इकाइयों के लिए वित्तीय और अकादमिक सहायता दी जा रही है। सरकार ने पुष्टि की कि जम्मू-कश्मीर निपुण भारत मिशन के सभी घटकों जिसमें कक्षा एक से पूर्व का तीन वर्षीय बालवाटिका चरण भी शामिल है, लागू कर रहा है।
यह भी बताया गया कि विद्या प्रवेश स्कूल-प्रिपरेशन माड्यूल ने जम्मू-कश्मीर में हर वर्ष एक लाख से अधिक बच्चों को लाभ पहुंचाया है। वर्ष 2022-23 में 134249 बच्चे, 2023-24 में 130640 बच्चे और चालू वित्तीय वर्ष में 119160 बच्चे इस माड्यूल के तहत कक्षा एक में सहज प्रवेश के लिए तैयार किए गए। यह संख्या दर्शाती है कि शुरुआती कक्षाओं में सुधार अब अर्ध-शहरी, ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में भी मजबूत आधार बना चुके हैं।
भाषा नीति पर उठे सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने बताया कि कक्षा पांच तक मातृभाषा, घर की भाषा या किसी परिचित स्थानीय भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का नीति का प्रावधान पूरे देश में लागू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल है।
राज्यों को तीन-भाषा सूत्र के तहत पर्याप्त स्वायत्तता रहेगी, लेकिन नीति का लक्ष्य कम से कम दो भारतीय भाषाओं का अध्ययन सुनिश्चित करना है। सरकार ने बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10 बोर्ड परीक्षा वर्ष 2026 से साल में दो बार कराई जाएगी।
इसका उद्देश्य हाई-स्टेक दबाव को कम करना, छात्रों को दो प्रयास उपलब्ध कराना और मूल्यांकन को कौशल आधारित बनाना है। सरकार ने कहा कि मातृभाषा-आधारित शिक्षा, सुदृढ़ प्री-प्राइमरी ढांचा, बहुभाषी शिक्षण और परीक्षा तनाव में कमी जैसे कदम जम्मू-कश्मीर जैसे भौगोलिक व भाषाई विविधता वाले क्षेत्रों में अधिक समान, लचीला और प्रभावी स्कूल शिक्षा वातावरण तैयार करने में मदद करेंगे। |