सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले में चल रही परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवाइवी) के तहत जैविक कॉरिडोर के दूसरे चरण में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब किसानों को मिलने वाली दूसरी व तीसरी किश्त की 6,500 रुपये की सहायता राशि नकद में नहीं, बल्कि सीधे जैविक खाद, जैविक कीटनाशक आदि सामग्री के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले में जैविक कारिडोर के अंतर्गत कुल 1,500 एकड़ क्षेत्र में क्लस्टर मोड पर जैविक खेती हो रही है। इसमें 1,478 किसान विभिन्न समूहों के माध्यम से जुड़े हुए हैं। योजना के पहले चरण में किसानों को तीन साल तक हर साल 11,500 रुपये नकद दिए जाते थे, जिसमें से वे स्वयं वर्मी कम्पोस्ट यूनिट और जैविक उर्वरक खरीदते थे।
दूसरे चरण में नियमों में संशोधन कर पहले साल 5,000 रुपये पक्का वर्मी पिट बनाने के लिए और अगले दो साल 6,500-6,500 रुपये देने का प्रविधान रखा गया था। लेकिन अब इस 6,500 रुपये में से केवल 1,500 रुपये ही किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर किए जाएंगे, जिनसे वे सिर्फ प्रमाणित जैविक बीज और केंचुआ खरीद सकेंगे।
शेष 5,000 रुपये की राशि के बदले कृषि विभाग द्वारा किसानों की जरूरत के अनुसार जैविक खाद, जीवामृत, बीजामृत, नीम तेल आदि सभी आवश्यक सामग्री सीधे उपलब्ध कराई जाएगी। योजना के क्षेत्रीय पदाधिकारी ऋषभ राज ने बताया कि दूसरी किश्त की पूरी सामग्री जिले के सभी प्रखंडों में पहुंच चुकी है।
एक से दो सप्ताह के अंदर सभी 1,478 लाभुक किसानों तक यह सामग्री पहुंचा दी जाएगी। इस नए प्रविधान से नकदी के दुरुपयोग की आशंका खत्म हो जाएगी और किसानों को वास्तव में जैविक खेती के लिए जरूरी गुणवत्तापूर्ण इनपुट मिल सकेंगे। कई किसानों ने इस बदलाव का स्वागत किया है।
ब्रह्मपुर प्रखंड के एक किसान ने कहा कि पहले पैसे मिलते थे, लेकिन बाजार में अच्छी जैविक खाद मिलना मुश्किल था। अब विभाग खुद अच्छी सामग्री देगा तो हमारी फसल वाकई 100% जैविक बनेगी। जिले में इस वर्ष से ही यह नया नियम लागू कर दिया गया है और सभी लाभुकों को इसी आधार पर सहायता दी जाएगी। |