पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की हालत। (एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने पाकिस्तान पर जानबूझकर उपेक्षा, संस्थागत उदासीनता और दशकों से हिंदू और सिख समुदायों की धार्मिक विरासत को संरक्षित करने से इन्कार करने का आरोप लगाया है, जबकि पाकिस्तानी अधिकारी इसकी रक्षा करने का दावा करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनारिटी (वीओपीएम) के अनुसार, पाकिस्तान में 98 प्रतिशत हिंदू और सिख पूजा स्थल या तो वीरान पड़े हैं, ताले लगे हैं या अवैध रूप से कब्जे में हैं। यह स्थिति कोई प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सत्ता संरचना का दोष है।
पाकिस्तान की अल्पसंख्यक कॉकस संबंधी संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत नवीनतम निष्कर्ष का हवाला देते हुए संस्था ने कहा कि कागजों पर दर्ज 1,285 हिंदू पूजा स्थलों और 532 गुरुद्वारों में से केवल 37 ही क्रियाशील हैं।
वीओपीएम ने कहा, \“\“इस उपेक्षा को और भी दर्दनाक बनाता है इसके इर्द-गिर्द व्याप्त व्यवस्थागत भेदभाव का स्वरूप। जहां एक ओर मंदिर ढह रहे हैं, वहीं स्कूली पाठ्यक्रमों में घृणास्पद या भेदभावपूर्ण विषयवस्तु जारी है। अल्पसंख्यक छात्रों को कम अवसर मिलते हैं, और उन्हें मुस्लिम छात्रों के बराबर छात्रवृत्ति या कोटा लाभ नहीं मिलता।\“\“
सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व बेहद कम है और यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारी भी अक्सर काकस की बैठकों में शामिल नहीं होते, जहां अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ) |