स्थायी समिति की विशेष बैठक मे बजट पेश करते निगमायुक्त अश्वनी कुमार और बैठक की अध्यक्षता करतीं चेयरपर्सन सत्या शर्मा। सौजन्यः एमसीडी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एकीकृत निगम के बनने के बाद पहली बार निगमायुक्त अश्वनी कुमार ने स्थायी समिति की विशेष बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के संशोधित बजट अनुमान और 2026-27 के बजट अनुमान पेश किया। इस दौरान कोई भी नया कर लगाए बिना निगम की स्थिति को ठीक करने का एलान किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले वर्ष एमसीडी ने 17,011.92 करोड़ का बजट पेश किया था जो कि संशोधित करके 16,296 करोड़ कर दिया है। साथ ही, 2026-27 के लिए करीब 500 करोड़ कम बजट पेश करते हुए 16,530.50 करोड़ का बजट अनुमान पेश किया है।
निगम के अनुसार, 500 करोड़ रुपये कम का बजट पेश होने के पीछे बड़ा कारण आय के लक्ष्यों को कम करना है क्योंकि जो आय के लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पा रहे थे उन्हें कम करके जो लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं वह किया गया है।
पहले संपत्तिकर में 4,000 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य था जिसे कम करके 3,500 करोड़ कर दिया है। इसी प्रकार कन्वर्जन चार्ज के तौर पर पिछले वर्ष 600 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा था जिसे इस वर्ष 220 करोड़ कर दिया है।
निगमायुक्त अश्वनी कुमार ने स्पष्ट किया कि वह कोई नया कर नहीं लगाएंगे लेकिन निगम में प्रशासनिक और आर्थिक सुधार कार्यों को वह जारी रखेंगे। इसमें संपत्तिकर से आय बढ़ाई जाएगी। साथ ही विज्ञापन से लेकर लाइसेंस से जो राजस्व आता है उसमें बढ़ाेतरी की जाएगी।
इस दौरान आयुक्त ने यह भी घोषणा की आने वाले दिनों में दिल्ली में होटल व रेस्तरां संचालित करने समेत दूसरे कार्यों के लिए जरूरी हेल्थ ट्रेड लाइसेंस अलग से लेने की जरूरत नहीं होगी। एमसीडी द्वारा ईज आफ डूईंग बिजनेस के तहत किए जा रहे सुधार कार्यों में वह इस दिशा में काम कर रहे हैं कि जैसे फैक्ट्री लाइसेंस और जनरल ट्रेड लाइसेंस को समाप्त कर संपत्तिकर से जोड़ा गया है वैसे ही हेल्थ ट्रेड लाइसेंस को जोड़ दिया जाएगा।
इसके बाद से लोगों को अलग-अलग लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। हालांकि संपत्तिकर से हेल्थ लाइसेंस को जोड़ने में कितना अधिक संपत्तिकर देना होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। निगम ने फैक्ट्री लाइसेंस को खत्म करते हुए जमा संपत्तिकर का पांच प्रतिशत संपत्तिकर अतिरिक्त लेने पर फैक्ट्री लाइसेंस को मान्य मान लिया जाएगा। इसी तरह एमसीडी ने जनरल ट्रेड लाइसेंस में भी यही कर दिया है। जो संपत्तिकर बनता है उसका 15 प्रतिशत अतिरिक्त संपत्तिकर देने पर भी जनरल ट्रेड लाइसेंस लेना नहीं पड़ेगा।
निगम पर 15,791 करोड़ रुपये की देनदारी
हालांकि, आयुक्त ने बजट में निगम की खराब आर्थिक स्थिति को भी सामने रखा। आयुक्त ने बजट में बताया कि निगम के ऊपर 15,791 करोड़ रुपए की देनदारी है। इसमें 7009.76 करोड़ रुपए कर्मियों के लाभांश और सातवें व छठे वेतन आयोग के बकाया भुगतान के हैं। जबकि 520 करोड़ रुपए ठेकेदारों के भुगतान के हैं । 8,262 करोड़ रुपए का एमसीडी पर लोन बकाया है।
यूजर चार्ज को नए तरीके से किया जाएगा पेश
कूड़ा उठाने के एवज में लगने वाले यूजर चार्ज को अगामी वर्ष में लागू किया जा सकता है। निगमायुक्त अश्वनी कुमार ने स्पष्ट किया कि हमने इस वर्ष की शुरुआत में कूड़ा उठाने के एवज में लगने वाले यूजर चार्ज को लेने की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन वह लागू नहीं हो पाई है। हम इसमें सुधार करके इसे नए सिरे से लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि वह कूड़ा प्रबंधन बेहतर करना चाहते हैं।
साथ ही, निगम की स्वच्छ रैकिंग को बेहतर करना चाहते हैं। अगर, लोग कूड़ा उठाने के बदले यूजर चार्ज देंगे तो लोगों को यह कहने का हक भी होगा कि निगम कूड़ा प्रबंधन के लिए बेहतर कार्य करे। उल्लेखनीय है कि यूजर चार्ज में प्रतिवर्ष रिहायशी संपत्ति के आकार के हिसाब से न्यूनतम 50 रुपए से लेकर 200 रुपए तक अधिकतम मासिक देने का प्रविधान है।
निगम ने अप्रैल 2025 संपत्तिकर के साथ इसे लेना शुरू किया था। जिसमें संपत्तिकर जमा करने के दौरान इतना ही अतिरिक्त कर संपत्ति के आकार के हिसाब से देना पड़ रहा था। लोगों का विरोध होने के चलते इसे निगम ने स्वैच्छिक कर दिया था।
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