झारखंड: वित्त मंत्री ने निविदाओं में कम दरों पर रोक लगाने की मांग की है।
राज्य ब्यूरो, रांची। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्य सचिव को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखकर राज्य सरकार की योजनाओं के लिए प्रकाशित निविदाओं में संवेदकों द्वारा असीमित न्यूनतम दर पर निविदा हासिल करने की गंभीर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह प्रथा राज्य के विकास कार्यों की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया है कि संवेदक प्राक्कलित लागत से 30-50% तक कम दर उद्धृत कर निविदा हासिल कर लेते हैं।
इससे तात्कालिक रूप में सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता दिखता है, किंतु वास्तविकता यह है कि इतनी कम दर पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण असंभव हो जाता है।
परिणामस्वरूप या तो कार्य अत्यंत घटिया होता है या योजनाएं बीच में ही अधर में लटक जाती हैं। बाद में मरम्मत के लिए सरकार को पुनः भारी धनराशि खर्च करनी पड़ती है, जिससे अंततः राज्य को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट प्रश्न उठाया है कि यदि एक करोड़ रुपये की प्राक्कलित योजना को कोई संवेदक मात्र 50 लाख रुपये में ले लेता है तो उस कार्य की गुणवत्ता और पूर्णता की क्या गारंटी रह जाती है?
राज्यहित में वित्त मंत्री ने पुरानी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया है, जिसमें अधिसूचित दर से अधिकतम 10% तक ही न्यूनतम दर स्वीकार की जाए। साथ ही वर्तमान में अति न्यूनतम दरों पर स्वीकृत निविदाओं पर तत्काल रोक लगाने एवं ऐसी प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग की गई है।
पत्र में दिए उदाहरण
- -जल संसाधन विभाग, हुसैनाबाद प्रमंडल की निविदा में छत्तरपुर की भदइया बांध मरम्मत (प्राक्कलित राशि 73.89 लाख) 49.99% कम दर पर दी गई।
- -देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड में लघु सिंचाई विभाग की दो योजनाएं क्रमशः 46.85% और 45.33% कम दर पर स्वीकृत हुईं।
- - भवन निर्माण, पथ निर्माण एवं अन्य विभागों में भी 30-50% तक कम दरों पर निविदाएं दी जा रही हैं।
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